19 वर्ष की हाथरस की जो बच्ची ने सफदरजंग अस्पताल में अपना दम तोड़ दिया और उसके साथ जो बर्बरता हुई, उसकी अंततोगत्वा मौत हो गई, लेकिन उसके साथ जो बर्बरता हुई, जिस बर्बरतापूर्वक उसका रेप हुआ, 4 लोगों ने गैंगरेप किया, उसकी पीठ पर जख्मों के निशान थे, उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ी गई, उसकी जीभ काट दी गई और वो 12 दिन तक तड़पती रही, इसको कहते हैं अदम्य साहस और इतने जीने की जिजीविषा थी कि वो 12 दिन तक इशारों से बात करने की कोशिश करती रही। ये कहीं पर एक सभ्य समाज पर तो बहुत बड़ा धब्बा है ही, ये पाश्विक है इस बर्बरता की जितनी भर्त्सना की जाए, उतनी कम है, क्योंकि एक जानवर ही ऐसी चीजें कर सकता है और बहुत बार उत्तर प्रदेश में कहा जाता है कि देर रात को घूम रही थी, ये हो रहा था, वो हो रहा था, वो देर रात तक नहीं घूम रही थी, वो अपनी मां और भाई के साथ खेत में घास काटने गई थी। भाई एक बोझा घास का लेकर घर पर रखने गया, मां आगे घास काट रही थी और उसको पीछे से इन चार लोगों ने खींच कर इतना जघन्य अपराध किया। कितना बड़ा कलंक है ये उत्तर प्रदेश की सरकार पर, एक बेटी के साथ इतनी बर्बरता होती है, इतना पाश्विक व्यवहार होता है और 8 दिन तक पुलिस इस पर कोई कार्यवाही नहीं करती है। इस पर कोई गैंगरेप की धारा नहीं लिखी जाती है 8 दिन तक। 8 दिन के बाद जब थोड़ा बहुत लोकल मीडिया ने प्रेशर बनाया और लोगों ने बातचीत करना इसके बारे में शुरु किया, तो 8 दिन के बाद उत्तर प्रदेश की पुलिस ने इसमें एक मामला दर्ज किया। अब गौरतलब बात ये है कि इस बीच में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के सलाहकार हैं, इनफोर्मेशन एडवाइजर हैं, जो सूचना सलाहकार हैं वो और आगरा की पुलिस ने इसको निरंतर फेक न्यूज बताया और ये आधिकारिक तौर पर बताया गया, उनके वैरिफाइड हैंडल से उन्होंने इसको फेक न्यूज बताया। ये दिखाता है कि किस तरह से हम महिलाओं की सुरक्षा को, महिलाओं के सम्मान को इस तरह से बर्बरता जब होती है, उसको फेक न्यूज बताकर लीपा-पोती करने की कोशिश की जाती है। ये एक अकेला मामला नहीं है और ना इस पर बात आकर रुक जाएगी। उत्तर प्रदेश में निरंतर ये होता जा रहा है। आज अगर उत्तर प्रदेश की सरकार ने, उत्तर प्रदेश की पुलिस ने इस पर उचित कार्यवाही समय रहते की गई होती, तो शायद वो बच्ची हमारे बीच आज जीवित होती। उसको क्यों नहीं समय रहते भेजा गया दिल्ली के एम्स में, वो इतनी बीमार थी, उसकी हालत इतनी नाजुक थी, 8 दिन क्यों लगे ये गैंगरेप का मामला दर्ज करने में, क्यों इन लोगों पर एनएसए नहीं लगाई जा रही है? क्या इससे बड़ा भी असुरक्षा का कोई मामला सामने आ सकता है? क्यों भारत और इंडिया में इतना बड़ा फासला आज भी है? क्यों इस खबर से लोगों की रुह नहीं कांपती है? क्यों नहीं इस खबर को वो प्रोमिनंस नहीं मिलता है, जो मिलना चाहिए? इतने शौकीन हैं बुलडोजर चलाने के योगी आदित्यनाथ जी, क्यों नहीं बुलडोजर चलाते हैं इन लोगों पर, इन 4 लोगों पर, जिन्होंने इतना जघन्य अपराध किया? ये मामला जैसे मैंने कहा, ये यहीं पर रुकने वाला नहीं है, ये निरंतर होता जा रहा है। आप उन्नाव देखिए, हरदोई देखिए, लखीमपुर देखिए, बाराबंकी देखिए, गोरखपुर देखिए, लगातार बर्बरता से रेप होता है, बलात्कार होता है और उसके बाद पीड़िता को मारने की कोशिशें होती हैं, कई जगह बिना कार्यवाही किए वो खुद आत्महत्या कर लेती है। उसके घरवालों को डराने-धमकाने की कोशिश भी होती है और इस मामले में भी उनके परिवार का कहना है कि उनको कहा गया कि उन्नाव जैसी हालत कर देंगे तुम्हारी, क्योंकि उन्नाव में जो गैंगरेप की पीड़िता थी, उसको जिंदा जलाने का काम हुआ था सड़क पर। तो बजाए पुलिस पीड़िता के साथ खड़ी रहती, पुलिस ने इस खबर पर लीपा-पोती करना, इस खबर को फेक न्यूज ठहराना ज्यादा जरुरी समझा। योगी आदित्यनाथ जी एनएसए लगाते हैं, उनके खिलाफ अगर कोई बोले। इस मामले में जो उनके खिलाफ बोलेगा, वो प्रतिद्वंदियों पर एनएसए लगाते हैं, हर तरह के कानूनी हथकंडे अपनाते हैं, इस पर वो क्या कर रहे हैं, क्यों सुस्त है सरकार? ये हमारा सवाल है। हमारा सवाल ये भी कि उत्तर प्रदेश की सरकार ये क्यों नहीं देख रही है कि कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है और इसलिए ये हो रहा है। अपराधियों को कानून का डर नहीं है, अपराधियों को पता है कि वो जितने जघन्य से जघन्य अपराध कर लें, कोई पूछने वाला नहीं है, ना उनको कोई पकड़ने वाला है और इसलिए इस तरह के जघन्य अपराध करके लोग आज भी आराम से घूम रहे हैं। एनसीआरबी के डेटा का मैं इसलिए उल्लेख करना चाहती हूं जब कि ये 2 साल पुराना डेटा है, 2018 का, उसके बाद जो निरंतर घटनाएँ हुई हैं, ये डेटा कहीं और पहुंच गया होगा। उत्तर प्रदेश, देश की क्राईम की कैपिटल बन चुका है। 2 साल पुराना डेटा बताता है कि हर रोज 12 रेप होते हैं, 36 महिलाओं की इज्जत के साथ खिलवाड़ किया जाता है, 46 के करीब अपहरण होते हैं और ये लगातार होता जा रहा है, ये मामले बढ़ते जा रहे हैं, क्योंकि जिन अपराधियों को सरकार को कानून व्यवस्था के चलते पाठ पढ़ाना चाहिए, उनको संरक्षण प्राप्त होता है, चाहे चिन्मयानंद हो, चाहे कुलदीप सिंह सेंगर हो, जब तक कोर्ट ने इंटरफेयर नहीं किया, हस्तक्षेप नहीं किया, तब तक सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए थे। तो इसकी जवाबदेही तो सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बनती ही है। लेकिन अगर कोई ये पूछे कि क्या मैं सरप्राइज हूं, क्या मैं हतप्रभ हूं कि ऐसा हो रहा है, बिल्कुल नहीं। उत्तर प्रदेश में भाजपा के करीब 312 एमएलए हैं, उनमें से 37 प्रतिशत के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं और उन 312 में से 80 से ऊपर लोगों के खिलाफ जघन्य अपराध के मामले हैं, जिसमें रेप और हत्या के मामले आते हैं। फिर ये लोग हमारी कानून व्यवस्था को सुचारु रुप से चलाएंगे? ऐसे जघन्य अपराध करने वाले हमारी बेटियों की सुरक्षा रखेंगे? आज मेरा सवाल सिर्फ योगी आदित्यनाथ जी से नहीं है, जिन्होंने उत्तर प्रदेश को जंगलराज बना दिया है। आज मेरा सवाल प्रधानमंत्री महोदय से भी है, क्यों वो चुप हैं, क्यों उनके मुँह पर पट्टी बंधी हुई है? कहाँ है वो नेत्रियां, कहाँ है वो महिला नेता, जो दौड-दौड़ कर उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की बातें करती थी, जो चूडियां भेजती थी तत्कालीन प्रधानमंत्री को, जबकि मुझे लगता है कि चूडियां जो हैं, वो शक्ति की निशानी हैं, कमजोरी की नहीं। आज उनके मुँह पर ताला लगा हुआ है। महिला बाल विकास मंत्री के मुँह से आज एक शब्द नहीं निकलता है, जब शब्द निकलता है तो आरोपियों को बचाने के लिए निकलता है। मैं फिर से कांग्रेस पार्टी की ओर से और इस बारे में ये जरुर कहूंगी कि एक जघन्य अपराध हुआ है। एक 19 साल की बच्ची ने जो दलित वर्ग से आती है, अपना दम तोड़ा है और आज भी अगर हम चुप रहेंगे, तो ये तो निरंतर होता ही जा रहा है, इसलिए योगी आदित्यनाथ सरकार को इसका जवाब देना होगा। प्रधानमंत्री महोदय अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर नहीं बैठ सकते हैं और जो महिला नेत्रियां बातें करती थी, घर में चुप रहने से बात नहीं बनेगी, बात बनेगी जब आप खुल कर लोगों का विरोध करिएगा, जो ऐसे अपराध करते हैं। अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश की बात करते थे, योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश को अपराध का गढ़ बना दिया है। हम इस प्लेटफार्म के माध्यम से उस पीड़िता के साथ जो जघन्य अपराध हुआ है और जिन आरोपियों ने किया है, उनको सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए और मुझे पता है कि जान की कोई कीमत नहीं होती है, लेकिन उनके परिवार को, जो अत्यंत शोषित परिवार से आते हैं, उनको कुछ ना कुछ मुआवजा मिलना चाहिए और इसमें तारीख पर तारीख नहीं पड़नी चाहिए, क्योंकि एक पाश्विक घटना हुई है, ये बर्बरता का एक नया आलम है, इसमें जरुर उन लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश में हर रोज 12 रेप होते हैं, 36 महिलाओं की इज्जत के साथ खिलवाड़ किया जाता है-सुप्रिया श्रीनेत
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- Last Updated On: Sep 30, 2020

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