नई दिल्ली :Fortune 500 बेड़े में शामिल भारत की एक कंपनी के सीएमडी को ले कर भिन्न भिन्न चर्चाओं ने ज़ोर पकड़ा हुआ है,ज़्यादातर की ऐसी राय है कि कुछ भी हो, आयेंगे तो वो ही,पर इस के इतर कुछ एक्सपर्ट की राय है कि ONGC की नियुक्ति ट्रेंड सटर नहीं बन सकती,हालाँकि उस नियुक्ति का मामला भी बड़ा ही रोचक था, PNGRB में जाते जाते क़दम कब ONGC की तरफ़ मुड़ जाएँगे इस बात का अंदाज़ा तो शायद श्री अरुण सिंह जी को भी नहीं रहा होगा।
NewsIP से वाहिद आला ज़राये थोड़ा हिचकिचाते हुए फ़रमाते हैं कि जब ONGC के चेयरमैन ओहदे की उम्र में तरमीमियत का मामला पेश आया था तब मुलाजमत करने वाले अफ़सरों को हुकूमत के इस अदल को लागू कराने के लिए पुरज़ोर मशक़्क़तों का सामना करना पड़ा था, ये एक तरह का नया फ़रमान था जिसको अमली जामा पहनाना काफ़ी मुश्किल भरा था (क्योंकि सरकारें हमेशा बदलती रहती हैं, ऐसे में हुक्मरानों के चेहरे भी बदलते हैं पर अक्सर ग़लत अमल अंदाजी पर मुलाज़मत करने वाले कारिंदों पर ही गाज़ गिरती देखी गई है ) इन सब के मद्दे नज़र ढेरों प्रेजेंटेशन देने और फ़ाइलों को इधर से उधर पहुँचाने के बाद उस मामले को निपटाया गया।
इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि आज के दौर में फिर एक बार उसी तरह का मामला बने ये थोड़ा मुश्किल सा नज़र आता है,हालाँकि मोजूदा सरकार के बारे में ये कौल मारूफ़ है कि फ़लाँ हैं तो मुमकिन है ,पर अभी तक ऐसा कोई इशारा मिला नहीं है।
ये भी सच है कि इस कंपनी के सर्वोच्च पद के लिए समुद्र मंथन चल रहा है इस मंथन में रस्सी का एक सिरा चेयरमैन बनने की आश में उन अफ़सरों के हाथ में हैं जिनको ये मौक़ा नहीं मिला है और उनकी सर्विस अभी बाक़ी है, तो रस्सी का दूसरा छोर उन जानशीनों के हाथ में हैं जो चेयरमैन के पद का लुत्फ़ उठा चुके हैं या फिर बड़े ओहदे से रिटायर हो चुके हैं पर मन में अभी भी कसक बाक़ी है कि शायद छीका टूट जाये।
ऐसे में जो किरदार सब से अव्वल हैं उनकी उम्र 60 साल से ज़्यादा होने के कारण मामला उनके लिए मुश्किल का सबब बनता जा रहा है, आयल और गैस के ऑब्ज़र्वर भी बहुत ही ध्यान से हर होने वाले डेवलपमेंट पर अपनी नज़र बनाए हुए हैं क्योंकि मामला देश की एक बड़ी डाउनस्ट्रीम कम अपस्ट्रीम कंपनी से जुड़ा है , कुछ का तो यहाँ तक कहना है कि जो साहब कल तक सब कुछ बड़ी आसानी से अपने हित में करवा लिया करते थे वो आजकल *लहलो लहलो* फिर रहे हैं,क्या ही खूब है कि आजकल एक बहुत ही मधुर सुर उनके मुखश्री से सुनने मिल रहा है,कई इनसाइडर के मुताबिक़ आप फ़रमा रहे है कि में तो यहाँ पर सिर्फ़ तीन या चार महीने तक का ही मेहमान हूँ।
एक अज़ीम महकमे में अपनी ख़िदमात देने वाले ने फ़रमाया देखिए साहब ONGC के चेयरमैन का मामला एक एक्सेप्शनल केस था,जो कभी क़बार होता है और अभी तो उस मामले को कुछ ही दिन बीते हैं फिर से उसी तरह का मामला और वो भी साल के अंदर ही एक्सेप्शनल केस को दोबारा दोहराया जाये ऐसा लग तो नहीं रहा है,पर कब क्या हो जाए कुछ कह नही सकते ।
हाल ही में उपरोक्त विषय से संबंधित एक फाइल सर्वोच्च कार्यालय से वापस आने की चर्चाओं ने भी ज़ोर पकड़ा था पर इस बात पर रहस्य बरकरार रखा जा रहा है कि वो फाइल किस संबंध में थी । कुछ की राय है कि फाइल टर्म ख़त्म होने पर और टर्म बड़ाने के संबंध में थी , तो कुछ का कहना है कि फाइल इस पद पर नियुक्ति की आयु 60 वर्ष के ऊपर किए जाने के संबंध में थी।
NewsIP के सूत्र बता रहे हैं कि फाइल आयु सीमा में परिवर्तन के संबंध के लिये संबधित मंत्रालय से नियुक्ति करने वाले मरकज़े आला के लिये अनुमोदित की गई थी पर फाइल मूक परिणाम स्वरूप ले कर अज्ञातवास है।
कॉर्पोरेट के गलियारों में एक चर्चा ये भी है कि अभी तक इस पद की नियुक्ति को ले कर क्या माप दंड होंगे इस बात पर भी कोई निर्णय या ब्लैक एंड वाइट कुछ भी सामने नज़र नहीं आया है, अब देखना होगा कि इस पद के लिए माप दंड क्या बनाये जाते हैं, क्या कॉर्पोरेट नियुक्ति एक्सरसाइज़ से हट कर माप दंड बनेंगें या फिर कॉर्पोरेट एक्सरसाइज़ के अनुसार ?
जबकि एक पहलू ये भी है कि चुनाव की घोषणा होते ही आचार संहिता लगने के बाद इस पद को ले कर अगर स्टैट्सको का प्रावधान होता है तो मोजूदा चेयर पर्सन को इसका भरपूर फ़ायदा मिलेगा,अब देखना ये होगा कि कहानी में ट्विस्ट क्या होता है,एक बात तो तय है कि कहानी में ट्विस्ट तो ज़रूर होगा।

















































