शाहदरा : दिलशाद कॉलोनी ABDE ब्लॉक में पिछले दिनों B ब्लॉक की ध्वस्त की गई दुकानों पर एक पीड़ित नागरिक ने पत्रकार से अपनी पीड़ा व्यक्त की है। उसकी आँखें बात करते करते रुदाली हो जाती है जब वो अपनी व्यथा सुनाता है , आँखों से नीर का विस्तारण करते हुए पीड़ित का गला भर आता है भर्राई आवाज में पीड़ित फ़रमाता है , हम ने अपने पूरे जीवन भर की कमाई ये सोच कर लगा दी थी की जब हमारे हाथ पैर नहीं चलेंगे तो औलाद की जगह ये दुकानें हमारे जीवन यापन का सहारा बनेंगी ।

“हमारा क्या क़सूर था? हमारी दुकानें जमींदोज़ कर दी गईं। हमने अपनी मेहनत की कमाई का पैसा बिल्डर को दिया था। हमें क्या पता था कि बिल्डर ने इस बिल्डिंग में रहने वाले फ़्लैट धारकों को यह जगह पार्किंग के नाम पर अलॉट कर रखी है। हमसे तो बिल्डर ने भारी-भरकम रकम ली थी। आज हम बहुत पीड़ा में हैं।”
जब पीड़ित से पूछा गया कि क्या उन्होंने इस मामले में RWA से मदद ली, तो उन्होंने बताया—
“हमने RWA, पुलिस, MCD यहाँ तक कि हर उस जगह फ़रियाद की जहाँ हम कर सकते हैं पर किसी ने हमारी नहीं सुनी।” दूसरी ओर, बिल्डिंग में रहने वाले फ़्लैट मालिकों का कहना है—
“जब हमने इस बिल्डिंग में फ़्लैट बुक किए थे, हमें कहा गया था कि नीचे पार्किंग की सुविधा दी जाएगी। लेकिन कब बिल्डर ने यह गंदा खेल खेला, हमें पता ही नहीं चला।”
गंभीर सवालों के घेरे में RWA और MCD
इस पूरे प्रकरण ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जब यह सब हो रहा था तो MCD और RWA क्या कर रहे थे?
MCD को लेकर यह मान भी लिया जाए कि यह सरकारी अमला है और इसमें लापरवाही संभव है, लेकिन RWA जिसका मुख्य काम नागरिकों के लिए निस्वार्थ, बिना भेदभाव के सेवाएं उपलब्ध कराना और ग़लत काम को रोकना है, वह आँख मूँदकर कहाँ सो रही थी?
बिल्डरों की मनमानी और सरकारी मशीनरी की चुप्पी
पीड़ितों के अनुसार, आज भी कॉलोनी में माहौल पहले जैसा ही है। बिल्डर धड़ल्ले से मनमानी कर रहे हैं। सरकारी मशीनरी बिल्डरों के साथ खड़ी है और RWA “धृतराष्ट्र” की तरह आँखें बंद किए बैठी है।
RWA धृतराष्ट्र की तरह अपने ऑफिस में संजय से पूछ रही है , संजय मेरा मन बहुत व्याकुल हो रहा है अपनी दूर दृष्टि से मुझे बताओ कालोनी में क्या चल रहा है , संजय अपने स्टाइल में बता रहे हैं ।
“हे भाताश्री, पूरी कॉलोनी में बिल्डर्स की बल्ले-बल्ले हो रही है। नई बिल्डिंगों का निर्माण प्रगति पर है और MCD द्वारा तय मानकों का कोई पालन नहीं किया जा रहा।”
धृतराष्ट्र पूछते हैं—
“हे वत्स! ऐसे में उन दुखिया फ़्लैट धारकों का क्या होगा, जो यह सोचकर यहाँ फ़्लैट ख़रीदते हैं कि RWA है तो सब ठीक ही होगा?”
इस पर संजय जवाब देते हैं—
“महाराज, सबकी छोड़िए। यहाँ ‘कमंडल’ हो रहा है। नवीनीकरण करा दिया गया है। अब तो कुंभकर्ण की नींद सोने का समय है। जब भी कोई इन अवैध निर्माण की बिल्डिंगों में फ़्लैट लेगा और शिकायत लेकर आएगा, तब भी ‘कमंडल’ ही होगा। पहले उससे चार्ज जमा करवाया जाएगा, फिर शिकायत सदस्यों के सामने रखी जाएगी। ऐसा करते-करते हमारा कार्यकाल ख़त्म हो जाएगा और आगे जो चुना जाएगा, वही जाने।”














































