पूर्वी दिल्ली के दिलशाद कॉलोनी में RWA ABD ब्लॉक की वार्षिक आम सभा (AGM) का आयोजन किया गया। इस बैठक में कॉलोनी के केवल 10 प्रतिशत से भी कम लोग शामिल हुए, जो कि सीनियर सिटीजन की दैनिक बैठकों में आने वाले लोगों की संख्या से भी कम है।
बैठक में RWA के महासचिव विनोद नायर ने वार्षिक लेखा-जोखा प्रस्तुत किया, जिसे उपस्थित लोगों ने तालियों के साथ स्वीकार कर लिया। RWA अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा, “हमारी कोशिश रहती है कि नागरिकों के लिए किए जाने वाले कार्यों में कम से कम खर्च हो।” उन्होंने 15 अगस्त को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान टेंट के खर्च का उदाहरण भी दिया।
बैठक में सवाल-जवाब का दौर भी चला। एक नागरिक ने RWA की टीम पर काम न करने का आरोप लगाया। वहीं, एक अन्य नागरिक, जिनका नाम आजाद है, ने कहा, “मैं अपनी गली के लोगों के लिए गुंडागर्दी से आजादी चाहता हूं।” उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए अपनी बहादुरी की कहानी सुनाई और मांग की कि अगर RWA गुंडागर्दी नहीं रोक सकती, तो उन्हें उनकी गली का लीडर बनाया जाए।
एक और नागरिक ने शिकायत की कि पिछले तीन सालों से RWA को सुझाव दिए जा रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। उन्होंने हाल की एक घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि RWA से बार-बार अनुरोध किया गया है कि हर गेट पर ‘यह आम रास्ता नहीं है’ लिखा जाए, ताकि इसका उपयोग केवल रास्ता पार करने के लिए शॉर्टकट के रूप में ना किया जाये ,क्यूंकि कॉलोनी में जितने भी गेट लगे हैं वो कॉलोनी नागरिकों के दिए हुए पैसे से लगे हैं उनकी सुरक्षा के लिए ना की बाहरी लोगों के शॉर्टकट के लिए, लेकिन RWA ने इस पर ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते हाल ही में एक मामला पुलिस थाने तक पहुंच गया।
एक और मुद्दा चर्चाओं का विषय बना रहा , पिछले दिनों एक दानकर्ता ने RWA के ऑफिस का नवीनीकरण कराया था जिसका नाम RWA के कार्यालय की पटशिला पर लगा दिया गया , जिस से लोगो में काफ़ी नाराजगी है लोगों का कहना है की RWA को किसी भी दानकर्ता के प्रभाव में नहीं आना चाहिए , इस मामले में RWA के एक पद अधिकारी ने ज़ोरदार विरोध किया था , नतीजन RWA के एक सीनियर पद अधिकारी को कुर्सी नसीब नहीं हुई और दानकर्ता और उसके सहयोगी को बाकायदा RWA का बैच लगा कर दोनों को पद अधिकारियों के बराबर में बैठाया गया ।













































