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Indian Administration

REC  द्वारा हरित ऋण में अभूतपूर्व वृद्धि 

REC  द्वारा हरित ऋण में अभूतपूर्व वृद्धि 

गुरुग्राम, 03 जनवरी 2025 – विद्युत मंत्रालय के अधीन कार्यरत महारत्न सीपीएसई और प्रमुख एनबीएफसी, आरईसी लिमिटेड ने वित्तीय वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया। कंपनी द्वारा ₹54,692 करोड़ का ऋण वितरित किया गया, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही से 17.98% अधिक है।

नवीकरणीय ऊर्जा ऋण वितरण में अभूतपूर्व वृद्धि

सबसे चौंकाने वाली खबर यह रही कि इस तिमाही में नवीकरणीय ऊर्जा ऋण वितरण में 58.09% की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई, जो ₹6,314 करोड़ तक पहुँच गया। यह आंकड़ा उस दिशा में एक बड़ा कदम है, जिस दिशा में देश और दुनिया दोनों ही ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव की ओर बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, *वित्तीय वर्ष 2024-25* के पहले तीन तिमाहियों (Q1-Q3) में आरईसी ने कुल ₹1,45,647 करोड़ का ऋण वितरित किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में वितरित ₹1,22,089 करोड़ से 19.30% अधिक है।

नकारात्मक पक्ष भी मौजूद: ऋण वितरण का तेज़ी से बढ़ना स्थिरता की चुनौती पेश कर सकता है हालांकि, इस सकारात्मक प्रदर्शन के बावजूद, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि तेज़ी से बढ़ते ऋण वितरण के साथ जुड़ी जोखिमों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बड़ी राशि में ऋण वितरण से ऋण की पुनः वसूली, खासकर अस्थिर या उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में, एक बड़ी चुनौती बन सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे में बैलेंस शीट पर दबाव पड़ सकता है, और भविष्य में इसके नकारात्मक प्रभाव भी सामने आ सकते हैं। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम नकारात्मक पक्ष के बावजूद, नवीकरणीय ऊर्जा ऋण का 78.68% की वृद्धि के साथ ₹17,612 करोड़ तक पहुँचना एक ऐतिहासिक कदम है। यह भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में हरित क्रांति के महत्व को रेखांकित करता है, जहां स्वच्छ और हरित ऊर्जा पर अधिक जोर दिया जा रहा है। आरईसी लिमिटेड का यह प्रयास न केवल देश के ऊर्जा भंडार को बढ़ावा देगा, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी देश के लिए एक सकारात्मक संकेत बन सकता है। निष्कर्ष: आरईसी की यह वृद्धि न केवल कंपनी की सशक्त स्थिति को दिखाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत की ऊर्जा नीतियाँ और ऋण वितरण रणनीतियाँ नए उच्चतम स्तर पर पहुँच रही हैं। हालांकि, यह देखना होगा कि इस तेजी से बढ़ते ऋण वितरण के लंबे समय में क्या प्रभाव पड़ते हैं, खासकर हरित क्षेत्र के संदर्भ में।

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