yandex
newsip
background-0
advertisement-0
background-1
advertisement-1
background-2
advertisement-2
background-3
advertisement-3
background-4
advertisement-4
background-5
advertisement-5
background-6
advertisement-6
background-7
advertisement-7
background-8
advertisement-8
background-9
advertisement-9
Indian Administration

दिल्ली में हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई: बिल्डर पर गंभीर आरोप, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उड़ाई धज्जियां

दिल्ली में हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई: बिल्डर पर गंभीर आरोप, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उड़ाई धज्जियां

दिल्ली के दिलशाद कॉलोनी में एक बड़े पर्यावरणीय अपराध का खुलासा हुआ है। प्लॉट नंबर B-49 पर लगे तीन हरे-भरे पेड़ों को कथित रूप से साजिश के तहत काटा जा रहा है। शिकायतकर्ता ने बिल्डर पर आरोप लगाया है कि पेड़ों को इलेक्ट्रिक कटर से काटने के साथ-साथ केमिकल डालकर उन्हें जानबूझकर नष्ट करने का षडयंत्र जा रहा है। इस मामले में न केवल स्थानीय प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है, बल्कि यह सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेशों का खुला उल्लंघन भी है। chautala सुप्रीम कोर्ट ने दी थी पेड़ों की सुरक्षा के कड़े निर्देश हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में पेड़ों की कटाई और छंटाई के मामलों को लेकर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि पेड़ों को काटने या क्षति पहुंचाने से पहले संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक हालिया आदेश में यह भी कहा था कि, “पेड़ों को केवल संपत्ति के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवित इकाई और पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण अंग के रूप में देखा जाना चाहिए।” दिल्ली जैसे महानगर में, जहां वायु प्रदूषण पहले से ही खतरनाक स्तर पर है, अदालत ने पेड़ों को काटने या क्षति पहुंचाने पर गंभीर कार्रवाई का निर्देश दिया है। घटना का विवरण 22 अक्टूबर 2024 को शाम करीब 5:30 बजे शिकायतकर्ता ने प्लॉट B-49 के अंदर तीन व्यक्तियों को बड़े मोटर वाले इलेक्ट्रिक कटर से पेड़ों की मोटी शाखाओं को काटते हुए देखा। इस पर तुरंत वीडियो रिकॉर्ड करते हुए आपातकालीन नंबर 112 पर कॉल कर पुलिस और एमसीडी को सूचित किया गया। प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप शिकायतकर्ता का कहना है कि मौके पर पहुंचे पुलिस और एमसीडी अधिकारियों ने कहने के बाद भी घटनास्थल पर मौजूद इलेक्ट्रिक कटर और काटी गई शाखाओं को जब्त नहीं किया । शिकायतकर्ता ने कहा, “मैंने पुलिस और एमसीडी से बार-बार अपील की, लेकिन कोई कार्रवाई होती हुई नजर नहीं आ रही है,जिससे बिल्डर का हौसला बढ़ा है और पेड़ो को अभी भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है।” इसके अलावा, पेड़ों पर केमिकल डालने और उन्हें धीरे-धीरे नष्ट करने की साजिश भी नजर आती है। शिकायतकर्ता ने संबंधित साक्ष्य के संबंधित अधिकारियों को भेज दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन यह मामला सुप्रीम कोर्ट के उन आदेशों के खिलाफ जाता है, जिनमें पेड़ों की अवैध कटाई को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि, 1. दिल्ली प्रिजर्वेशन ऑफ ट्री एक्ट, 1994 और 2. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 का पालन सुनिश्चित करना सभी प्रशासनिक और स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है। इसके अलावा, अदालत ने यह भी निर्देश दिए हैं कि पेड़ों की कटाई पर कड़ी निगरानी रखी जाए, ताकि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जा सके। कानूनी संदर्भ और संभावित दंड • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 378 और 426: पेड़ों को काटना और संपत्ति को नुकसान पहुंचाना अपराध है। • दिल्ली प्रिजर्वेशन ऑफ ट्री एक्ट, 1994: बिना अनुमति पेड़ काटने पर आर्थिक दंड और कारावास का प्रावधान है। • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986: पर्यावरण को क्षति पहुंचाने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। जनता और पर्यावरण को खतरा

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बीच इस प्रकार की घटनाएं न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि “दिल्ली जैसे शहरों में एक पेड़ को बचाना 100 मास्क के बराबर है।”

शिकायतकर्ता की अपील

शिकायतकर्ता ने उपराज्यपाल से तुरंत हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और पर्यावरण को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।

प्रशासन पर उठे सवाल

यह घटना न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी और बिल्डरों के साथ संभावित मिलीभगत की ओर भी इशारा करती है।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और पर्यावरण कानूनों के बावजूद पेड़ों की अवैध कटाई पर कोई कार्रवाई न होना एक चिंताजनक संकेत है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या दोषियों को कानून के अनुसार सजा दी जाएगी।

Share This Article:

This post is sponsored by Indian CPSEs and co sponsored by Google, a partner of NewsIP Associates.