बरसात ने पूरे देश में दस्तक दे दिया है। धूप गर्मी और लू से लोगों को निजात मिली है। आकाश में बादलों पृथ्वी पर हरियाली का राज आया । मेढकों की टर्र-टर्र , झींगुरों की झायं-झाय, बादलों की गरज -तड़प और बरसात की रिमझिम एवं झम- झम ने मौसम को रहस्यमई और सुहाना बना दिया है ।मोर नाच उठे हैं आदमी का मन झूम रहा है। ऐसे में न डरने का मन कर रहा है न डराने का।किन्तु चिकित्सक होने का कर्तव्य आगाह करने को बाध्य कर रहा है। प्राकृतिक परिवर्तनों के साथ थोड़ी सी सावधानी एवं जागरूकता से हम इस सुहाने मौसम का भरपूर लुत्फ़ उठा सकते हैं। वरना बरसात अपने साथ हरियाली और जल ही नहीं रोगों की भरमार भी लेकर आती है। एक ओर कोरोना ने पहले से ही कहर ढा रखा है ऊपर से अनेक और रोग द्वार पर आ खड़े हुए हैं।प्राकृतिक परिवर्तनों से होने वाले सामान्य रोग सर्दी, जुकाम ,खांसी बुखार ,मक्खी -मच्छरों से फैलने वाले रोग डायरिया ,पीलिया, डेंगू ,मलेरिया एवं नमी और उमस के कारण उत्पन्न होने वाले फंगल रोग दाद, दिनाय, फोड़ा- फुंसी ,खुजली तथा पैरासाइटिक रोग जैसे कृमी स्केबीज व फाइलेरिया इत्यादि घात लगाए अपनी बारी की तलाश में हैं।
बरसात का मौसम सभी को फलने फूलने का अवसर प्रदान करता है। पेड़-पौधे, जीव- जंतु ,कीड़े- मकोड़े मक्खी-मच्छर सबकी प्रजनन और बढ़ावे का सहयोगी मौसम तो होता ही है साथ ही साथ वायरस बैक्टीरिया पैरासाइट्स एवं फंगस भी तेजी से बढ़ते हैं। नदी -नाले भी उफान पर रहते हैं और जलजमाव भी वाटर बार्न रोगों को शरण देने के लिए तत्पर। यहां हम बरसात के कारण होने वाले सर्दी-जुकाम की चर्चा करेंगे।
सर्दी-जुकाम, खांसी-बुखार–
बरसात के मौसम में प्रकृति निरंतर परिवर्तनशील बनी रहती है।गर्मी, सर्दी ,सीड़न, उमस एवं तूफानी मौसम का सामना व्यक्ति को एक ही दिन में करना पड़ सकता है। ऐसी अवस्था में इन परिवर्तनों से सबका शरीर सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाता जिससे शरीर का ठंडा या गर्म हो जाना, मुंह ,नाक ,कान ,आंख एवं इंटेस्टाइन के म्यूकस मेंब्रेन का आक्रांत हो जाना सामान्य बात है। जिसके कारण सर्दी जुकाम खांसी बुखार बदन दर्द एवं पेट की गड़बड़ियां उत्पन्न हो सकती हैं। जो कुछ समय बाद स्वयं भी अथवा कुछ सामान्य दवाओं के प्रयोग से ठीक हो सकते हैं। परंतु कोरोना वायरस की भी प्रारंभिक लक्षण यही हैं जो मरीज के भीतर भय और चिकित्सक के अंदर आशंका पैदा कर सकते हैं। ऐसी अवस्था में पेशेंट के अंदर निडरता और डॉक्टर के अंदर सतर्कता का होना जरूरी है।
कारण—
1-बरसात के समय तापमान में परिवर्तन ,
2-आद्रता में परिवर्तन,
3-विभिन्न प्रकार के एलर्जेंट जैसे सीड़न, माइट्स, जलजमाव के कारण आने वाली सड़ांध भरी गंध, विभिन्न प्रकार के फूलों के मकरंद, कीड़े मकोड़े एवं
किताबों और कपड़ों पर नमी के कारण पैदा होने वाले कवक इत्यादि।
4- बरसात के जल में भींगने की असहिष्णुता
5- इनफ्लुएंजा वायरस
6- जुकाम पैदा करने वाले सामान्य कोरोना वायरस
7- गला मुंह नाक और आंख के म्यूकस मेंब्रेन में निवास करने वाले न्यूमोकोकस बैक्टीरिया के एक्टिवेट हो जाने के कारण।
8- रक्त में स्नोफिल की संख्या बढ़ जाने के कारण
क्या करें क्या ना करें–
वैसे तो कोरोना संक्रमण के कारण आजकल सभी लोग बचाव के अनेक उपाय कर रहे हैं जो वर्षा काल के सर्दी -जुकाम के लिए भी कारगर सिद्ध होंगे। कुछ उपाय निम्नवत हैं-
1- अनावश्यक बारिश में भीगने से बचें। यदि भींग जाते हैं तो जितना जल्दी संभव हो वस्त्रों को बदलकर अच्छी तरह शरीर को पोंछकर सुखा लें।
2- नहाने से पहले पूरे शरीर को सरसों के तेल अथवा ऑलिव ऑयल से मालिश करें।
3- गुनगुने गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करें।
4- घर में सीड़न ना होने दें।
5- घर के आस-पास जलजमाव को होने देने से रोकें। हैंडपाइप का पानी उबालकर ठंडा कर के ही पिएं। भरसक फ्रिज का पानी ना पिएं।
6- चाय की जगह तुलसी अदरक काली मिर्च दालचीनी मुलेठी इत्यादि का काढ़ा बनाकर सेवन करें।
7- घर में मकड़ी का जाला न लगने दें।
8-किताबों को समय-समय पर धूप दिखाते रहें।
9- व्यायाम प्राणायाम और योगासनों से अपने को चुस्त दुरुस्त रखें।
10- मौसमी फलों आम, नींबू, आंवला और सुपाच्य भोजन को ही ग्रहण करें।
11- मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग इस मौसम के सर्दी जुकाम के लिए भी बहुत कारगर हैं।
12- बहुत लोगों को पार्थेनियम और यूकेलिप्टस जैसे घास और पेड़ों से एलर्जी होती है जो इस मौसम में बढ़ जाती है ।यदि उन्हें पता हो तो इनसे बचकर रहें।
13- सर्दी जुकाम होते ही पहले के दिनों की तरह निश्चिंत ना होकर तुरन्त अपने चिकित्सक की सलाह लें वह आपको सही सलाह और सही औषधि दे पाएगा। अनावश्यक घबराए ना जिससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहेगी। ऐसा करना इस कोरोना कॉल में अत्यंत आवश्यक है।
होम्योपैथिक बचाव और चिकित्सा-
होम्योपैथी में सर्दी जुकाम खांसी बुखार की अनेकानेक आराम देने वाली औषधियां उपलब्ध हैं ,जो रोग होने के पूर्व और बाद सफलतापूर्वक प्रयोग की जा सकती हैं।
बचाव-
मौसम के प्रारंभ में ही एक खुराक इनफ्लूएंजिनम 200 एवं 2 दिन बाद आर्सेनिक अल्ब 200 की एक खुराक लेकर सर्दी जुकाम से बचा जा सकता है।
यदि किसी को दूरस्थ बादलों के आगमन की सुगबुगाहट से ही जुकाम हो जाता हो तो डल्कामारा 200 की कुछ खुराकें हीं उसके बचाव के लिए काफी हैं।
यदि किसी को भींग जाने के कारण यह शिकायत हो रही हो तो सीजन के प्रारंभ में ही एवं एक दो बार बीच में भी रस टॉक्स 1M. की एक खुराक ले लेनी चाहिए।
घर में सीलन और आसपास जलजमाव के कारण होने वाले जुकाम खांसी बुखार से बचाव के लिए नेट्रम सल्फ 200 कि एक खुराक 15 दिन पर एक बार कारगर सिद्ध होगी।
यदि स्टॉर्मी वेदर के कारण ऐसा कुछ हो रहा हो तो रोडोडेंड्रान 1Mकी एक खुराक प्रत्येक 15 दिन पर बहुत ही फायदेमंद होगी।
मकड़ी के जालों नम किताबों पटनी और सेल्फ पर बैठी धूल से एलर्जी होने पर अंब्रोसिया ए10Mकी कुछ खुराकें सदा के लिए मुक्ति दिला सकती हैं ।
पार्थेनियम की एलर्जी को ऐंटीपायरिन 200 के प्रयोग से खत्म किया जा सकता है।
इस्नोफीलिया की वजह से यदि सर्दी जुकाम खांसी हो तो एड्रीनलिन 1M रोज सुबह दोपहर शाम लेने पर दो-तीन दिन में ही आराम हो जाता है। इस्नोफिल भी सामान्य अवस्था में पहुंच जाती है।
सर्दी जुकाम खांसी हो जाने पर- लक्षण अनुसार एकोनाइट ,आर्सेनिक एल्बम ,रस टॉक्स ,डल्कामारा नेट्रम सल्फ, रोडोडेंड्रान , यूपेटोरियम पर्फेक्ट, अमोनियम कार्ब , हिपरसल्फ ,नक्स वॉमिका इत्यादि होम्योपैथिक दवाएं अत्यंत कारगर हैं। बचाव अथवा चिकित्सा वाली उपरोक्त दवाएं होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह पर ही ली जानी चाहिए
डॉ एम डी सिंह पीरनगर गाजीपुर उत्तर प्रदेश में होमियोपैथी के चिकित्सिक हैं