लोकतंत्र सेनानी या उनकी पत्नी के ईलाज के लिए 5 लाख रुपये सालाना तक की सरकारी सहायता-मनोहर लाल

मुख्यमंत्री गत देर रात्रि टैगोर थियेटर में आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वाले सत्याग्रहियों के लिए आयोजित राज्य स्तरीय लोकतंत्र सेनानी सम्मान समारोह में प्रदेशभर से आए सेनानियों को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष राजीव बिंदल, हरियाणा के शिक्षा मंत्री श्री रामबिलास शर्मा, हरियाणा के परिवहन मंत्री श्री कृष्ण लाल पंवार, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री श्रीमती कविता जैन, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री सुभाष बराला, चंडीगढ़ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री संजय टंडन भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश भर से आए लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित करने के बाद कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा आपातकाल के दौरान सत्याग्रह आंदोलन में जेल जाने वाले लोकतंत्र सेनानियों को 10 हजार रूपए प्रति माह पेंशन तथा हरियाणा परिवहन की बसों में लोकतंत्र सेनानी व उसके एक सहायक को नि:शुल्क बस यात्रा की सुविधा दी जा रही है। लोकतंत्र की रक्षा एवं सुरक्षा की आवाज बुलंद करने वाले इन सेनानियों को गत 26 जनवरी 2019 को ताम्रपत्र देकर सम्मानित भी किया गया था। उन्होंने घोषणा की कि अब हरियाणा सरकार द्वारा ‘लोकतंत्र सेनानियों’ का 5 लाख रूपए प्रति वर्ष तक इलाज का खर्च उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सेनानी के अलावा उसकी पत्नी का भी 5 लाख रूपए तक के इलाज का खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र सेनानियों को संबोधित करते हुए आपातकाल के संबंध में कहा कि आज से ठीक 44 साल पहले एक काली रात आई थी, उस समय लोगों को यह एहसास हुआ होगा कि पता नहीं सुबह होगी भी या नहीं होगी और देशभर के लाखों लोगों को जेलों में डाल दिया गया। इसका कारण यह था कि उस समय की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को अपनी गद्दी बचानी थी। उन्होंने कहा कि 12 जनवरी 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने रायबरेली के चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के संबंध में निर्णय दिया था और वो भी एक प्रधानमंत्री के विरूद्ध, जबकि उस समय कांग्रेस का प्रधानमंत्री का मतलब था- कांग्रेस यानी सरकार, सरकार यानी कांग्रेस अर्थात कांग्रेस पार्टी की सरकार आजादी के बाद लगातार बनती आ रही थी। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में उस समय श्रीमती इंदिरा गांधी को नैतिकता के आधार पर त्याग पत्र दे देना चाहिए था लेकिन उनके पुत्र संजय गांधी ने उन्हें सत्ता नहीं छोडऩे के लिए कहा और इस कारण से धारा-352 का उपयोग करके 25 जून 1975 की रात 11 बजकर 45 मिनट पर आपातकाल की घोषणा कर दी गई।
मुख्यमंत्री ने बड़े भावुक मन से लोकतंत्र सेनानियों से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि उस समय जब आपातकाल लगाया गया था तब देश को आजाद हुए लगभग 28 वर्ष बीत चुके थे और आपातकाल जैसा निर्णय देश को परतंत्रता की ओर बढ़ा रहा था और बैठकों, सभाओं के साथ-साथ मीडिया को भी सेंसर कर दिया गया तथा प्रमुख लोगों को पकड़ लिया गया।
मुख्यमंत्री ने आपातकाल के दौरान अपनी आपबीत्ती से अवगत कराया कि वे दिल्ली के रानीबाग में रहते थे और उस समय भारत माता की जय नहीं बोल सकते थे और यदि कोई बोलता था तो उसे जेल में डाल दिया जाता था और यातनाएं दी जाती थी। उन्होंने कहा कि आज शुभ्र ज्योत्सना पुस्तक का विमोचन किया गया है जिसमें लोकतंत्र सेनानियों से जुड़ी घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है और हमें ऐसी घटनाओं को याद रखना चाहिए क्योंकि ये प्रेरणादायक होती है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के पश्चात देश में चुनाव हुआ और जनता पार्टी को 2 तिहाई बहुमत प्राप्त हुआ अर्थात जनता वास्तव में अपनी आजादी चाहती थी इसलिए उन्होंने जनता पार्टी को चुना। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से जनता जागती है और देश में आंदोलन होते हैं लेकिन आपातकाल की घटना के पश्चात जनता को यह पता चला कि लोकतंत्र में कितनी ताकत है और पहली बार जनता ने सरकार बदलने की इस प्रक्रिया को समझा।
उन्होंने कहा कि आपातकाल की स्थिति की वजह से ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जैसे व्यक्तित्व आज देश में हैं और यही वजह है कि उस समय की परिस्थितियों के कारण वे स्वयं संघ के साथ जुड़े और देश सेवा में अपने आपको जोड़े रखा। उन्होंने कहा कि संकट की घड़ी से परिवर्तन होते हैं। उन्होंने स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिए गए वक्तव्य का उल्लेख करते हुए कहा कि सत्ता का खेल चलेगा, सरकार आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेगी-बिगड़ेंगी, परंतु देश रहना चाहिए और लोकतंत्र बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि मन में हमेशा ताकत को बनाए रखना चाहिए और इस आशा और विश्वास को सदैव बनाए रखें ताकि लोकतंत्र को बचाया जा सके और आने वाली पीढिय़ों को प्रेरणा मिल सके।
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