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ग्रामीण इलाकों के पत्रकारों का उत्पीड़न चिंता का विषय : केपी मलिक

ग्रामीण इलाकों के पत्रकारों का उत्पीड़न चिंता का विषय : केपी मलिक

सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर के गांधी पार्क में गत दिवस ‘ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन’ के 32वें प्रांतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त देश-भर से आए सैकड़ों की संख्या में पत्रकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम को दैनिक भास्कर के राजनीतिक संपादक और प्रेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारिणी सदस्य के.पी. मलिक तथा अन्य कई पत्रकारों ने संबोधित किया। वरिष्ठ पत्रकार मलिक ने कहा कि हम पत्रकार केवल लोकतंत्र की मज़बूत आवाज़ ही नहीं हैं, बल्कि लोगों, खासकर आम जन मानस का संबल भी हैं। लेकिन अनेक मीडिया संस्थान आम लोगों, खासकर ग्रामीण इलाकों में बसने वाले लोगों की समस्याओं पर ध्यान न देकर सिर्फ़ बड़े शहरों और राजधानी की खबरों को ही प्रमुखता से प्रकाशित करने पर जोर दे रहे हैं। इतना ही नहीं ग्रामीण पत्रकारों को उनकी योग्यता, कर्मठता और लगन के मुताबिक सम्मान भी नहीं मिल रहा है, जो कि पत्रकारिता-जगत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण एवं गम्भीरता का विषय है। इसी प्रकार ग्रामीण समस्याओं और ग्रामीणों पर भी बहुत कम पत्रकार ध्यान दे रहे हैं। अधिकांश पत्रकार इन लोगों की समस्याओं से बेरुखी रखते हैं। उनके ज्वलंत मुद्दे न उठने के कारण ग्रामीण लोग बहुत-सी सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं; जबकि देशहित में इनका सहयोग किसी से कम नहीं है। इसीलिए मेरा मानना है कि ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों को ग्रामीणों-किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण समस्याओं से दूर रहने की एक वजह यह भी है कि छोटे शहरों और कस्बों में रहकर ग्रामीण इलाकों में काम करने वाले पत्रकारों का लगातार उत्पीड़न हो रहा है। इससे निपटने और पत्रकारों पर हो रहे उत्पीड़न को रोकने के लिए सभी पत्रकारों को एकजुट होने की आवश्यकता है। अगर पत्रकार एक नहीं होंगे, तो बात नहीं बनेगी और पत्रकारों का उत्पीड़न कभी खत्म नहीं हो सकेगा। मलिक ने कहा कि पत्रकारों में एकजुटता न होने के चलते उन पर उत्पीड़न के तमाम उदाहरण पिछले दिनों में देखे गए हैं। मसलन, उत्तर प्रदेश में कई पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज किए गए। लगभग 6 पत्रकारों की हत्या कर दी गई। और यह सब इसलिए हुआ, क्योंकि उन्होंने उन खबरों को प्रकाशित करने या चैनलों पर दिखाने की हिम्मत की थी, जिन खबरों को कुछ माफिया और दबंग टाइप के लोग बाहर नहीं आने देना चाहते थे; जैसे कि खनन आदि की खबरें। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का पेशा ईमानदारी से बड़ी ज़िम्मेदारी का पेशा है। इसमें जोखिम तो है ही, लेकिन अगर हम सब पत्रकार एकजुट होकर एक परिवार की तरह काम करें, तो पत्रकारों पर होने वाले अत्याचारों पर रोक लगने के साथ-साथ अपराध और अपराधियों पर भी लगाम कसी जा सकेगी। वरिष्ठ पत्रकार के.पी. मलिक की इस बात का सभी पत्रकारों ने समर्थन किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार के.पी. मलिक समेत अन्य पत्रकारों को ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन की ओर से सम्मानित किया। सम्मेलन में पदम् विभूषण योगाचार्य श्री भारत भूषण जी, राज्यसभा चैनल के संपादक श्री अरविंद सिंह और जनपद के जिलाधिकारी श्री अजय कुमार पांडे आदि ने भी अपने विचार रखे।

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ग्रामीण इलाकों के पत्रकारों का उत्पीड़न चिंता का विषय : केपी मलिक