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Indian Administration

वसुधैव कुटुम्बकम,सारा जहाँ एक परिवार,वन ग्रिड, वन सन, वन वर्ल्ड

वसुधैव कुटुम्बकम,सारा जहाँ एक परिवार,वन ग्रिड, वन सन, वन वर्ल्ड
दुनिया में भारत की बानगी देखते हैं बनती हैं, हाल ही में G 20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने वाले देशों में से ट्रेडिंग के क्षेत्र में अपनी खास पहचान बनाने वाले देश सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री ने भारत के सामने अक्षय उर्जा (Renewable Energy) से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा। सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री ने ये ख़्वहिश ज़ाहिर की कि हम अक्षय उर्जा को ले कर काफ़ी उत्साहित हैं हम चाहते हैं कि भारत और सिंगापुर के बीच इस तकनीक के ज़रिये कुछ और निकटता बड़ाई जाये। सिंगापुर के एक मंत्री ने इस प्रस्ताव को आगे बड़ाते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि भारत अक्षय उर्जा की सप्लाई करने के लिए आगे आए। एक आलतारीन अफ़सर जो हुक़ूमत में मुलाज़मत के ज़ैरे नज़र हैं ने NewsIP से गुफ़्तगू में फ़रमाया में इस बात को वाज़ह करना चाहता हूँ कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी का सपना और G-20 की थीम “वसुधैव कुटुम्बकम” यानि “सारा जहाँ एक परिवार” के मुताबिक भारत विश्व स्तर पर तेजी से आगे बढ़ना चाहता है।इसी लिये भारत के प्रधानमंत्री ने दुनिया के सभी देशों से वन ग्रिड, वन सन, वन वर्ल्ड का आवाहन किया है। अब समय आ गया है जब पूरी दुनिया के मुल्कों को भारत के प्रधानमन्त्री के इस आवाहन पर विशेष ध्यान दे कर मतभेद भुला कर एक साथ आना होगा। अपनी गुफ़्तगू को आगे बड़ाते हुए आप ने फ़रमाया G 20 शिखर सम्मेलन के दौरान सऊदी अरब और भारत के बीच हुआ समझौता इस जानिब उठने वाला कदमे अव्वल है (प्रथम पहल)जो आगे चल कर भारत और सऊदी अरब के लिये के मील का पत्थर साबित होगा, ये बहुत मुमकिन है कि जल्द ही सऊदी अरब के साथ एक और समझौता अमल में आये , आने वाले दिनों में हम एशियन ग्रिड के साथ सिंगापुर को भारत से जोड़ेंगे और फिर गल्फ़ ग्रिड को भी जोड़ने की योजना है , ये सभी ग्रिड समुंदर के नीचे केबल बिछा कर जोड़े जाएँगें , जैसे ही इन दोनों ग्रिडों में सफलता मिलेगी, हमारा प्रयास होगा कि अफ्रीका और अन्य देशों को भी ग्रिड के साथ जोड़ा जाये। ये पूछे जाने पर कि पूरी दुनिया को एक ग्रिड के साथ जोड़ने पर सबसे बड़ी समस्या क्या होगी? आपने फ़रमाया राजनीतिक इच्छा शक्ति और घमंड, अगर देशों को अपनी जनता के लिये काम करना है तो जनहित कायों के लिये घमंड को मार कर जनहित में इस कार्य को आगे बड़ाने के लिये साथ आना होगा। NewsIP के एक्सपर्ट ऐसा मानते हैं कि कई बार हुकूमतों को ऐसे समझौते करने पड़ते हैं जो जनहित में नहीं होते हैं लेकिन हुक़ूमतों को एक कवच प्रदान करते हैं, सत्ता में हमेशा बने रहने का एक सुरूर होता है जिसका नशा घमण्ड में तब्दील हो जाता है। इसी लिये राजनीतिक इच्छा शक्ति ही मात्र एक राम बाण हैं जिस के सहारे इस प्रोजेक्ट पर कामयाबी हासिल की जा सकती है। वहीं दूसरी तरफ़ ऊर्जा विशेषज्ञों की राय है कि वन ग्रिड, वन सन, वन वर्ल्ड सपना तो बहुत अच्छा है पर ये इतना आसान नहीं होगा हर देश की एक विदेश नीति है इस सपने को साकार करने में कौन कौन सा देश एक साथ खड़ा होता है ये अहम सवाल है जिसका जवाब भविष्य की गर्द में छिपा है। जहाँ तक एशियन ग्रिड से जुड़ने की बात है तो ये एक अच्छा और सार्थक कदम है जिस पर भारत को तेज़ी से आगे बड़ने की आवश्यकता है, एशियन ग्रिड से जुड़ने के मामले में हमें यह भी याद रखना होगा कि जब भी दुनिया के स्तर पर भारत के हितों की बात होती है तो अक्सर कई मामलों में भारत को निराशा मिली है ,वन ग्रिड, वन सन, वन वर्ल्ड के सपने को एशियन ग्रिड के साथ जोड़ने में कई मामलों में भारत का साथ न देने वाले देश का क्या स्टैण्ड होगा यह भी देखने वाली बात होगी। इसके अलावा भारत को अपने पड़ोसी छोटे छोटे देशों के साथ और घनिष्ट रिश्ते बनाने होंगे ताकि उनका विश्वास जीता जा सके। हालांकि अभी भी भारत इन देशों को कई तरह की छूट (रियायत) प्रदान करता है। भारत की आज़ादी के बाद पहली बार भारत के पास एक ऐसा विजन है जिसे पूरी दुनिया की सराहना मिल रही है, लेकिन इस विजन को कामयाब करने के लिए कौन सा देश आगे आता है और साथ चलता है ये सबसे अहम होगा ।

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This post is sponsored by Indian CPSEs and co sponsored by Google, a partner of NewsIP Associates.