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गांधी जी का नाम लेना तो आसान है, लेकिन उनके रास्ते पर चलना आसान नहीं-सोनिया गांधी

गांधी जी का नाम लेना तो आसान है, लेकिन उनके रास्ते पर चलना आसान नहीं-सोनिया गांधी

(प्रेस रिलीज़) कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि मंच पर उपस्थित सभी नेतागण, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारीगण, कार्यकर्ता साथियों, भाईयों और बहनों। आज हम सबके लिए एक ऐतिहासिक, एक पवित्र और शुभ दिन है। एक सौ पचास साल पहले आज ही के दिन, महात्मा गांधी जी जैसे महापुरुष का भारत की धरती पर जन्म हुआ था। उन्होंने न केवल भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को अहिंसा और सत्याग्रह का रास्ता अपनाने की प्रेरणा दी। हम ऐसे महा-मानव की स्मृति को बार-बार नमन करते हैं। आज जब हमारा देश और पूरी दुनिया, महात्मा गांधी जी की एक सौ पचासवीं जयंती मना रहे हैं, हम सभी को इस बात पर गर्व है कि आज भारत जहां पहुंचा है, गांधी जी के रास्ते पर चल कर पहुंचा है। गांधी जी का नाम लेना तो आसान है, लेकिन उनके रास्ते पर चलना आसान नहीं है। गांधी जी का नाम लेकर, भारत को उन्हीं के रास्ते से हट कर, अपनी दिशा में ले जाने की कोशिश करने वाले, पहले भी कम नहीं थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में तो- ‘साम-दाम, दंड-भेद’ का खुला कारोबार करके वे अपने आप को बहुत ताकतवर समझते हैं। इस सबके बावजूद, अगर भारत नहीं भटका, तो इसलिए कि हमारे मुल्क की बुनियाद में गांधी जी के उसूलों की आधारशिला है।

भारत और गांधी जी एक-दूसरे के पर्याय हैं। ये अलग बात है कि आजकल कुछ लोगों ने इसे उल्टा करने की जिद पकड़ ली है। वे चाहते हैं कि गांधी जी नहीं, बल्कि आरएसएस भारत का प्रतीक बन जाये। मैं ऐसा कहने वालों को साफ शब्दों में बताना चाहती हूं कि हमारे देश की मिली-जुली संस्कृति, मिली-जुली सभ्यता और मिले-जुले समाज ने, गांधी जी की सर्व-समावेशी व्यवस्था के अलावा, कभी कुछ सोचा तक नहीं है।आप तो बताइए कि जो असत्य पर आधारित राजनीति कर रहे हैं, वे कैसे समझेंगे कि गांधी जी सत्य के पुजारी थे, जिन्हें अपनी सत्ता के लिए सब-कुछ करना मंजूर है, वे कैसे समझेंगे कि गांधी जी अहिंसा के उपासक थे, जिन्हें लोकतंत्र में भी, सारी शक्ति खुद की मुट्ठी में रखने की प्यास है, वे कैसे समझेंगे कि गांधी जी के स्वराज का क्या मतलब है और जिन्हें मौका मिलते ही अपने को सर्वे-सर्वा बताने की इच्छा हो, वे कैसे समझेंगे कि गांधी जी की निःस्वार्थ सेवा का मूल्य क्या होता है।

महात्मा गांधी चाहते थे, कि भारत और उसके गांव आत्म-निर्भर हों। आजादी के बाद इसी रास्ते पर चलकर कांग्रेस ने क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के कदम उठाए। चाहे नेहरू जी हों, शास्त्री जी हों, इंदिरा जी हों, राजीव जी हों, नरसिम्हा राव जी हों या तो फिर डॉ. मनमोहन सिंह जी हों, सभी ने नये भारत के निर्माण के लिए दिन-रात संघर्ष किया और तरक्की की नई मिसाल कायम की। यही वजह है कि हम इतनी सारी मंजिलें तय कर पाये। गांधी जी के मार्ग पर चल कर कांग्रेस ने जितने नए रोजगार के अवसर पैदा किए, जितने लोगों को गरीबी से मुक्ति दिलाई, हमारे अन्नदाता किसानों को जितने नये-नये साधन उपलब्ध कराए, हमारी प्यारी बहनों के लिए जितनी सुविधाएं मुहैया की, युवक और युवतियों को जितनी शिक्षा की सुविधाएं दीं, वह मैं समझती हूँ, बेमिसाल हैं।

लेकिन पिछले चार-पांच साल में भारत की जो हालत हो गई है, मुझे लगता है कि उसे देखकर गांधी जी की आत्मा भी दुखी होती होगी। बेहद अफ़सोस की बात है कि आज किसान भाई बदहाली की स्थिति में हैं। हमारे युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। उद्योग-धंधे बंद हो गए हैं। मेरी बहनें, गांव तो छोड़िए बड़े शहरों में भी सुरक्षित नहीं हैं और उन पर अत्याचार करने वाले प्रभावशाली लोग तो आराम फरमा रहे हैं और जिनके ऊपर जु़ल्म हुआ, वे जेलों में डाली जा रही हैं।इन दिनों अपने को भारत का भाग्य-विधाता समझने वालों से मैं बहुत ही विनम्रता के साथ कहना चाहती हूं कि गांधी जी नफरत के नहीं, प्रेम के प्रतीक हैं। वे तनाव के नहीं, सद्भाव के प्रतीक हैं। वे निरंकुशता के नहीं, जन-तंत्र के प्रतीक हैं, बाकी कोई कुछ भी दिखावा करे, मगर गांधी जी के सिद्धांतों पर कांग्रेस ही चली है और कांग्रेस ही चलेगी।

इसलिए आज मैं, कांग्रेस के अपने सभी बहन-भाइयों से कहती हूं कि भारत के बुनियादी मूल्यों को बचाने के लिए, हमारी संवैधानिक संस्थाओं की रक्षा करने के लिए, हमारे सामाजिक ताने-बाने को जिंदा रखने के लिए, लोगों की अलग-अलग पहचान की आजादी बनाए रखने के लिए, हमें, हम सभी को एक-एक दिन गांधी जी की तरह गली-गली, गांव-गांव जाना है, तब जाकर भारत बचेगा। आज हमें भारत की बुनियादी अस्मिता को, प्राचीन गरिमा को, सांस्कृतिक परंपराओं को, विविधता के मूल्यों को और आपसी सौहार्द को बचाने के लिए, हर कीमत चुकाने का संकल्प लेकर यहां से जाना है। यह संघर्ष कितना ही लंबा हो, कितना भी कठिन हो, हम इस रास्ते पर, तब तक साथ-साथ चलेंगे, जब तक कामयाब नहीं हो जाते और मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो मंजिल कभी दूर नहीं होती।तो इन्हीं शब्दों के साथ आप सबके साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करती हूं और इस अवसर पर शामिल होने के लिए आप सबको दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं। जय हिन्द !

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