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पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, सीएनजी, कीमतें 40% तक कम करे सरकार -कांग्रेस

नई दिल्ली : हम सब लोग जान रहे हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ऊपर कच्चे तेल के प्राईस बेतहाशा तरीके से दर से टूट रहे हैं और उस हिसाब से हमारे देश के अंदर पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, सीएनजी, इन सबकी कीमतें उसी हिसाब से कम होनी चाहिएं, क्योंकि अब हमारे देश के अंदर पेट्रोल और डीजल, पेट्रोल संबंधित उत्पाद जो हैं, वो सबके सब मार्केट के साथ में लिंक कर दिए हैं। पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, सीएनजी, इन सबकी कीमतें उसी हिसाब से कम होनी चाहिएं, आप सब जानते हैं कि जब अंतर्राष्ट्रीय पेट्रोल उत्पादों के रेट बढ़ते थे, तो हमारे देश के अंदर साथ-साथ पेट्रोल-डीजल, एलपीजी, सीएनजी के रेट भी साथ-साथ बढ़ जाते हैं, लेकिन जब कम होते हैं तो उसके साथ में कम क्यों नहीं होते हैं? आज जब सुबह मैंने नेट पर इसकी कीमतें देखनी शुरु की तो 35 डॉलर से थोड़ा सा ज्यादा क्रूड ऑयल के रेट थे, अभी मैंने कंफर्म किया तो जो 35 से ज्यादा थे, वो अब 35 से भी 34.9 डॉलर प्रति बैरल हो गए हैं। तो इस तेजी से कम हो रहे हैं, लेकिन हमारे देश के अंदर इस हिसाब से कम करने की बजाए हमारी सरकार लोगों को फायदा पहुंचाने की जगह खुद फायदा, अपना मुनाफा, अपने लिए पैसा कमा रही है औऱ लोगों की जेब पर बोझ कम होना चाहिए, जो नहीं हो रहा है। 35 डॉलर के आस-पास का जो कच्चे तेल का मूल्य था, ये हमारे देश के अंदर जून-जुलाई 2004 में, अंतर्राष्ट्रीय तेल का मूल्य 35 डॉलर के करीब था। मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं, हमने पुराने आंकड़े निकाले हैं कि 2004 जून के अंदर डीजल का रेट था 22 रुपए 74 पैसा पर लीटर। पेट्रोल  का था 35 रुपए 71 पैसे पर लीटर और एलपीजी था 281 रुपए 60 पैसे पर सिलेंडर। तो जो डीजल 22 रुपए 74 पैसे हमारी सरकार इसी कच्चे तेल के ऊपर बेचती थी, आज उससे लगभग 3 गुना ज्यादा डीजल 62 रुपए 81 पैसे के ऊपर बिक रहा है और पेट्रोल डबल हो गया लगभग 35 रुपए 71 पैसे से। हमारे वक्त इसी कच्चे तेल की कीमत में बिकता है और अब पेट्रोल बढ़कर 70 रुपए 4 पैसे हो गया है। एलपीजी जैसे मैंने 281 रुपए कहा, आज की तारीख में एलपीजी की कीमत 858 रुपए है। तो ये तीन-तीन, चार-चार गुना, दो-दो गुना जो डीजल, प्रेट्रोल और एलपीजी की कीमतें बढ़ रही हैं। ये क्यों बढ़ गए, जब अंतर्राष्ट्रीय खुदरा तेल के मूल्य आज उसी रेट के ऊपर हैं, जिस रेट के ऊपर 2004 जून-जुलाई के अंदर था? सरकार से ये हम जानना चाहते हैं।

यही नहीं इसके ऊपर एक्साइज ड्यूटी भी कम करने की बजाए 3 रुपए बढ़ा दी गई है। लोगों को आगे इसका फायदा देने की जगह सरकार ने इसके ऊपर आज एक्साइज ड्यूटी 3 रुपए बढ़ा दी है। 1 रुपए पर लीटर पेट्रोल और डीजल के ऊपर रोड़ सैस के तौर पर बढ़ा दिया है। अब सरकार का ये मानना है कि अकेले इस कदम से लगभग 40 हजार करोड़ रुपए का सरकार को मुनाफा एक साल के अंदर होगा। हैरानी की बात ये है कि कल ही डॉ. निलेश शाह जो पीएम के इक्नॉमिक एडवाईजरी काउंसिल के मैंबर हैं, उन्होंने कहा है कि जो अभी अंतर्राष्ट्रीय खुदरा मूल्य की कीमत कम हुई है, क्रूड ऑयल की जो कीमत कम हुई है उससे सरकार को 3 लाख 40 हजार करोड़ का सरकार को केवल अभी फायदा हुआ है। ये 40 हजार करोड़ रुपए तो उससे अलग है, लेकिन अभी तक के कल ही इससे पहले डॉ. निलेश शाह का ये मानना है कि 3.4 लाख करोड़ का सरकार को ऑलरेडी फायदा पहुंच चुका है। बड़ी हैरानी की बात है कि ये सरकार जो जनता का ध्यान रखने के लिए अपने आपको कहकर सत्ता में आई थी, महंगाई कम करने के नाम पर सत्ता में आई थी, उस सरकार ने 2014 में 9 रुपए 48 पैसे प्रति लीटर एक्साइज था पेट्रोल पर, जो बढ़कर 22 रुपए 98 पैसे हो गया। डीजल के ऊपर 3 रुपए 56 पैसे एक्साइज था, जो कि लगभग 5-6 गुना बढ़कर 18 रुपए 33 पैसे हो गया है। तो इतनी बड़ी तादाद के अंदर एक्साइज ड्यूटी जो बढ़ाई जा रही है, ये बड़े दुख की बात है, जो इंटरनेशनल कीमतें जब कम हो रही हैं तो लोगों तक इसका फायदा नहीं पहुंचाया जा रहा है। इससे नुकसान क्या है – इसका सबसे बड़ा नुकसान हमारे किसानों को है, इसका सबसे बड़ा नुकसान ट्रांसपोर्टर्स को है, इसका सबसे बड़ा नुकसान आप सब लोगों को है। 2004 में इंटरनेशनल कच्चे तेल की कीमतों के ऊपर हमारी सरकार के वक्त पर जो पेट्रोल की कीमत थी, आज भी लगभग वही कीमतें हैं। लेकिन सरकार हमसे कहीं ज्यादा वसूल रही है। उदाहरण के तौर पर अगर आप अपनी मोटर साईकिल पर 10 लीटर पेट्रोल एक बार में डलवाएंगे, तो आप ये मानकर चलें कि सरकार को 343 रुपए आप फालतू दे रहे है और स्कूटर में अगर 5 लीटर पेट्रोल डलवाएं, तो उसमें आप मानकर चलें कि 171 रुपए फालतू दे रहे हैं, इसी प्रकार कार -जीप में टैंक फुल करवाते समय यदी आप 40 लीटर पेट्रोल डलवातें हैं तो आप यूपीए सरकार के सयम की तुलना में लगभग 1373 रुपए ज्यादा दे रहे हैं। इसी प्रकार यदि आप 40 लीटर डीजल अपनी कार में डलवाते हैं तो सरकार आपसे लगभग 1600 रुपए अधिक ले रही है। किसान भाई य़दि अपने ट्रैक्टर में 50 लीटर डीजल डलवाते हैं तो वे लगभग 2000 रुपए अधिक दे रहे हैं। तो य़े सरकार इतना पैसा आपसे अधिक वसूल रही है। ये हम आपसे कहना चाहते हैं। जब- जब आप पेट्रोल पंप से पेट्रोल या डीजल लेने जाते हैं तो ये मान कर चलिए कि हर बार सरकार आपसे फालतू पैसा वसूल रही है और आपकी जेब पर डाका डाल रही है। हम आपको बताना चाहते हैं कि इस सरकार ने हम लोगों के लिए, साधारण जनता के लिए क्या कर रही है।

हमारी मुख्यत: तीन मांगे हैं-  सबसे पहले तो जो इंटरनेशनल कच्चे तेल की कम कीमतों का फायदा सीधे-सीधे लोगों को मिलना चाहिए और एक दम से पेट्रोल व डीजल पर लगभग 40 प्रतिशत कीमतें कम हो जानी चाहिएं। फिर धीरे-धीरे करके इंटरनेशनल लेवल पर जैसे मैंने कहा कि जो हमारी सरकार के वक्त में 2004 जून-जुलाई की कीमतें थी, वैसे होनी चाहिएं पर एकदम से तुरंत 40 प्रतिशत पेट्रोल और डीजल की कीमतें एकदम से सरकार को करने चाहिएं।  दूसरा, पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंदर लेकर आना चाहिए।  तीसरा, जो एक्साइज ड्यूटी और कस्टम के अंदर 2014 से जैसे मैंने कहा पेट्रोल में 9 रुपए 48 पैसे एक्साइड बढ़ाकर 22 रुपए 98 पैसे कर दिया गया है, डीजल पर 3 रुपए 56 पैसे से बढ़ाकर 18 रुपए 33 पैसे कर दिया गया है, इसको वापस 2014 के लेवल के ऊपर लाया जाय। जितना पैसा हमारी सरकार के समय में एक्साइज ड्यूटी पर लगता था, उतना ही पैसा अब वापस होना चाहिए।

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