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लाखो स्टूडेंट्स की जिंदगी से खिलवाड़, नीट पेपर लीक पर कोहराम

सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है परीक्षा प्रक्रिया क्या आपके पास शक्ति है जो है उनकी?

कुछ दिनों से ऑल इंडिया एग्जाम,एनईईटी,यूजीसी नेट को ले कर एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं, सच तो ये है कि अगर मीडिया इन सब बातो को लोगो के सामने नहीं लाती तो शायद ये स्कैंडल भी दब जाता। लाखो स्टूडेंट्स की जिंदगी से खिलवाड़ करना एक तरह से इंसानियत से खिलवाड़ करना है। शायद यही वजह रहती होगी कि कई बार सुनने को मिलता है कि डॉक्टर ने उल्टी की जगह सीधी टांग काट दी, या डॉक्टर ने ऑपरेशन के बाद सामान अंदर ही छोड़ दिया।
भारत के भविष्य की अगर बात है तो किसी को आगे आकर सक्रिय रूप से काम करना होगा। पीएम की छवि वैसे भी उनके ही मंडल के लोग खराब करते नज़र आ रहे हैं।
पहले इनकार करते हैं और बाद में जब स्वीकार करने को मजबूर किया जाता है तब जस्टिफाई करने लगते हैं। एक्सपर्ट की राय के मुताबिक़ मंत्रालय का मुखिया होना बहुत ही जिम्मेदारी का काम होता है। माफ़ कीजिए ये इस तरह तो बिलकुल नहीं होता कि चेयरमैन या सीएमडी को बुलाया और झाड़ पिला दी।
भारत की आजादी से लेकर काफी प्रतिष्ठित लोगों ने हुमायूं कबीर, राधाकृष्णन से लेकर जाकिर हुसैन तक ने शिक्षा मंत्रालय की ज़िम्मेदारी सँभाली है।समझधार के बुद्धि जीवी वर्ग का ऐसा मत है कि किसी भी मंत्रालय में संबंधित कार्य का निष्पादन उच्च माप दंडों के अनुसार ही अगर किया जाये तो शायद इस तरह के परिणाम भविष्य में ना दोहराये जायें। सिर्फ राजनीतिक नेतृत्व या ताकत के बल पर किसी भी मंत्रालय को चलाना अहमकाना हरकत से ज़्यादा और कुछ नहीं हो सकता।
कुछ ऐसे मंत्रालय भी हैं जहां कई कंपनियों के चेयरमैन और बोर्ड हर इशारे पर जी हुज़ूरी के लिये तैयार रहते हैं,पर हर मंत्रालय में ऐसा नहीं होता है कुछ मंत्रालय इतने संवेदनशील हैं जिनको ले कर एक बयान में कहा गया है कि सरकार नीट के मामले में गंभीर है, मामला न्यायालय में विचाराधीन है और बहुत ही संवेदनशील है। सिर्फ किसी एक राज्य पर सीएसआर की बारिश होगी या किसी मीडिया वाले को अरेस्ट करवा दिया जाएगा माफ़ कीजिए ये कोई माप दंड या कोई अच्छी कार्यशैली नहीं होती। इस विभाग में पड़े लिखो का काम है, किसी नागिस तालीम आफ़ता के हाथों में कमांड देने का मतलब है जैसे बंदर के हाथों में उस्तरा। फ़ारसी सबके बस के नहीं होती।
शिक्षा विभाग के एक्सपर्ट की राय है कि के जमाना था जब डॉक्टर मुरली महोहर जोशी के पास शिक्षा मंत्रालय की ज़िम्मेदारी थी अगर इस मंत्रालय में शिक्षा की उच्च कोटि के परख स्वरूप बिराजमान किया जाये तो NEET जैसे स्कैंडल से काफ़ी हद तक बचा जा सकता है।
ये सोच कर भारत के भुद्दीजीवी कप उठे हैं कि दर्द और जिम्मेदार औधे के अपेक्षा रखने वाले पहले से ही भ्रष्ट मानसिकता वाले हैं। ऐसे में भारत जो चीन, अमेरिका, यूरोप आदि से एजुकेशन और सिल्स में टक्कर लेना चाहता है उसकी अंदर से सिस्टम खोकली नज़र आ रही है। न्यूजआईपी के पाठक जानते हैं कि किस तरह से पाकिस्तान के पायलटों को सारे विश्व में रिजेक्ट कर दिया है ?

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