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भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत गंभीर है-कांग्रेस

har_geeta

नई दिल्ली : कांग्रेस के प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत गंभीर है और ये एक राष्ट्रीय चिंता का विषय है। हमने पहले भी इस पर कई बार टिप्पणी की है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी ने भी देश को वास्तविक स्थिति से अवगत कराया, तब में और अब में काफी फर्क है। देश के बैंक टूट रहे हैं, बाजार टूट गए, मांग टूट गई, फैक्ट्रियों का उत्पादन टूट रहा है और पिछले 60 साल में सबसे बड़ी गिरावट हमारे निर्माण के क्षेत्र में आई है, जो औद्योगिक निर्माण है, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर है। उसके साथ गंभीर चिंता इस विषय पर है कि निवेश टूट गया है। कल ही सरकार की तरफ से जो आंकड़े सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं। जहाँ तक कैपिटल फोर्मेशन की बात है, कैपिटल गुड्स, जो सीधा निवेश से जुड़ा है, उसमें 21 प्रतिशत गिरावट आई है। तो हम कह सकते हैं कि आज जो भारत की इकोनॉमी है, उसकी स्थिति इतनी गंभीर है कि अगर तुरंत सरकार के पास कोई रुपरेखा नहीं है, कोई सोच नहीं है तो आने वाले दिन देश के लोगों के लिए बहुत कष्टकारी होंगे

बड़ी संख्या में देश में नौकरी टूटी है। इस सरकार के सत्ता में आने के लगभग 4 महीने में, उसमें और अब में आप देखें तो प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री आज देश चलाने की और अर्थव्यवस्था की जो स्थिति है, उस पर कोई गौर नहीं कर रहा है। लगभग 35 लाख नौकरी केवल ऑटोमोबिल सेक्टर में टूटी है। टैक्सटाइल का हाल, कृषि के बाद दूसरे नंबर पर है। सबसे ज्यादा जो लोगों को रोजगार मिलता है, वो भारत में टैक्सटाइल सेक्टर में मिलता है। टैक्सटाइल मिलें (Textile mills ) बंद हो रही हैं। हमारे देश में हथकरघा उद्योग के जो सबसे बड़े चुने हुए सेंटर है, उसमें एक हरियाणा के पानीपत में है, वो तकरीबन बंद हो गया है। लैदर सेक्टर में भी लोगों को बहुत रोजगार मिलता है, वो भी इस वक्त संकट में है, रोजगार टूट गया है। सरकार के पास राजस्व की बड़ी कमी है। जो सितंबर तक के आंकड़े सामने आए थे, सरकार ने लगभग 24 लाख करोड़ अपने बजट एस्टिमेट में रखा था, जो उनका डायरेक्ट- इनडायरेक्ट टैक्स का रिवेन्यू इक्कट्ठा करना है, लाना है, जिस पर बजट आधारित है, वो पहले 5 महीने में 7 प्रतिशत भी नहीं हुआ। तो उससे आप सोच सकते हैं कि अगर आधे से भी कम चल रहा है, केवल 6 महीने बचे हैं, तो वही होगा जो पिछले साल हुआ और उससे भी ज्यादा बड़े पैमाने पर होगा। जो बजट एस्टिमेट है, उसमे कमी थी, मैंने आपको बताया है, 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपए की, उसकी भरपाई नहीं हुई, सरकार ने खर्चा बंद कर दिया और जो गरीब लोगों को डायरेक्ट ट्रांसफर ऑफ बैनेफिट था, उस पर रोक लगा दी। वही कमी जो इनके बजट में आई थी, उतना पैसा रिजर्व बैंक से ले लिया- एक लाख 76 हजार करोड़, जो कंटिंजेंट रिजर्व बफर था और जो साढ़े आठ प्रतिशत पर होना था, आज 5.5 प्रतिशत पर गिर चुका है।

 

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