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सिल्कयारा सुरंग हादसा : सरकारी कदम, और बचाव का प्रयास

उत्तराखण्ड: 12 नवंबर 2023 को सुबह लगभग 5.30 बजे की एक खबर ने पूरे देश को चौंका दिया है, 260 मीटर से 265 मीटर सिल्कयारा सुरंग के अंदर रिप्रोफाइलिंग का काम कर रहे सरकारी आँकड़े के मुताबिक़ 41 लोग सुरंग के धँस जाने की वजह से अपनी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं, PMO इस पर पूरी नज़र बनाए हुए है, सभी को सही सलामत निकालने के लिए सरकार ने ONGC, SJVN,RVNL,THDCIL की टीमों को जिम्मेदारी सौंपी ।

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क्या थी सरकार की मंशा

चारधाम यात्रा करते समय एनएच- 134 (धरासू- बरकोट रोड) की 25. 6 किमी लंबाई बर्फ से प्रभावित होती है जिसके कारण यात्रा में 50 मिनट लगते हैं ,, चारधाम यात्रियों की सुविधा के लिए सरकार 4. 531 किमी लंबी इस सुरंग का निर्माण करा रही है, जो सभी मौसम में यात्रा करने वालों को राहत देने वाली बात होगी, इस सुरंग के निर्माण के बाद जिस यात्रा में 50  मिनट का समय लगता था उसे महज़ 5 मिनट में पूरा किया जा सकेगा।4. 531 किमी वाली लंबाई वाली ये सुरंग दो लेन पर आधारित होगी। इस सुरंग के माध्यम से राड़ी दर्रे के तहत गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थस्थलों को जोड़ा जाएगा।

किस कंपनी को दी गई है ज़िम्मेदारी

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने अपनी कंपनी M/s National Highways & Infrastructure Development Corporation Limited (NHIDCL) को इस सुरंग का निर्माण कार्य का जिम्मा सौंपा है। इसके लिए 1383 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है। इस सुरंग का निर्माण कार्य EPC मोड पर M/s Navyuga Engineering Company Limited को दिया गया है।

सुरंग का निर्माण आरंभ करने और सुरंग को पूरा करने का समय

सुरंग का निर्माण कार्य 9 जुलाई 2018 को शुरू हुआ था और 8 जुलाई 2022 तक पूरा होने का समय निर्धारित था जो पूरा ना हो सका बाद में इसको 14 मई 2024 तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही थी, वर्तमान में लगभग 4060 मीटर यानी 90% लंबाई तक हेडिंग पूरी हुई है, बाकी की लंबाई के लिए खुदाई का काम चल रहा है, हेडिंग सिल्कयारा की ओर से 2350 मीटर और बरकोट की ओर से 1710 मीटर तक ही पहुँच पाई है।

ONGC,SJVN,THDCIL को मिली अहम ज़िम्मेदारी ।

प्रधानमंत्री कार्यालय इस घटना पर पूरी निगरानी कर रहा है , इसी कड़ी में भारत सरकार के Psus को अहम ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार ONGC , SJVN, THDCIL RVNL को सुरंग में फँसे हुए लोगों को सही सलामत निकालने के लिए जो भी ज़रूरी कदम हैं उन्हें उठाने का निर्देश दे दिया गया है ,, NewsIP की टीम ने इस विषय में Psus से वार्तालाप की है ।

ONGC : मंत्रालय के मुताबिक़ ओएनजीसी को  सुरंग के मामले में महारत हासिल है उसके जियोलॉजिस्ट एक अच्छी पकड़ रखते हैं इसलिए उनको ये ज़िम्मेदारी दी गई है कि वो इसकी स्टडी कर ये सुनिश्चित करें कि किस तरह जल्दी से जल्दी इन सभी को निकाला जा सकता है।ONGC ने  NEWSIP  से वार्तालाप में कहा ONGC की IDT इंस्टीट्यूट ऑफ़ ड्रिलिंग एंड टेक्नोलॉजी की टीम ने घटना स्थल का मुआयना किया है जो संभव प्रयास होगा किया जाएगा ।

SJVN : सरकार ऐसा मानती है कि SJVN को इस तरह के हादसे पेश आने पर रेस्क्यू करने में महारत हासिल है इसलिए SJVN की टीम को रेस्क्यू करने की ज़िम्मेदारी दी गई है , NewsIP से वार्तालाप में SJVN ने बताया की एसजेवीएन के 7 सुरंग विशेषज्ञों की एक टीम जिसमें भूवैज्ञानिक और सुरंग निर्माण इंजीनियर शामिल हैं, गुरुवार (16-11) से आपदा स्थल पर पहुँच कर अपने ज़िम्मेदारी को अंजाम दे रही है ।

THDC : THDC  और एनएचपीसी के सीएमडी राजीव बिश्नोई ने NewsIP से वार्तालाप में कहा , हमारी कई टीम और अफ़सर घटना स्थल पर मौजूद हैं हर संभव प्रयास होगा की सरकार द्वारा दी गई ज़िम्मेदारी पर हम खरे उतरें ।

एक्सपर्ट की राय : NewsIP ने जियोलॉजिस्ट के एक्सपर्ट से इस बारे में समझना चाहा कि पूरा मामला क्या है ? और फँसे हुए लोगों को बाहर निकालने में कितना समय लग सकता है ! एक्सपर्ट के मुताबिक़ इस तरह की जो घटनायें होती हैं उन में कुछ भी अनुमान लगाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन इस घटना में 40  मीटर गहरी टनल के लिए 15 से 20 दिन या उससे अधिक समय भी लग सकता है। क्योंकि जब तक क्राउन को सपोर्ट नहीं किया जाएगा और उसे पूरी तरह कंसोलिडेट नहीं किया जाएगा तब तक दुनिया की कोई भी तकनीक या मशीनरी काम नहीं कर पाएगी ।क्योंकि जो रॉक है वो क्लास 4 और क्लास 5 में आता है इसलिए काम थोड़ा मुश्किल है पर ना मुमकिन नही।

 

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