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कोरोना राहत कोष के नाम पर पेटीएम से उगाई, मुकदमा दर्ज़

(के पी मलिक) नई दिल्ली। वैश्विक महामारी करुणा संक्रमण से बचाव की इस लड़ाई के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ने जहाँ दो बैंक अकाउंट नंबर जारी करते हुए कोरोना महामारी के लिए राहत कोष बनाया है। इन राहत कोष में कोई भी नागरिक सीधे पैसा, चिकित्सा सामग्री,भोजन का सामान आदि अपने जिले के जिलाध्यक्ष के माध्यम से मुख्यमत्री राहत कोष में जमा करा सकता है। अब उत्तर प्रदेश में राहत सामग्री और राहत कोष ने नाम पर कई फ़र्ज़ी संस्थायें भी सामने आकर कोरोना राहत कोष के नाम पर धन और खाद्य सामग्री की ठगी करने में जुट गयी हैं। ताज़ा मामला मुज्जफरनगर में देखने को मिला जब समर्थ नामक व्यक्ति ने बैंक के बाहर सार्वजनिक स्थान का उपयोग करते हुए अपना निजी पेटम नंबर जारी करते हुए वीडियों सोशल मीडिया में वायरल करते हुए कोरोना राहत कोष में निजी पेटम नंबर के पैसे डालने और अन्य राहत पहुँचाने की अपील करते हुए अवैध धन उगाही शुरू कर दी। जबकि लॉकडाउन की स्थिति के कारण ऐसे संकट के दौर में किसी भी प्रकार से बिना प्रशासन की इजाजत के कोई राहत कोष ना बनाया जा सकता है और ना ही राहत के नाम पर धन की उगाही अवैध रूप से ठगी करते हुए की जा सकती है।
इस फ़र्ज़ी वीडियों के वायरल होते ही मुज्जफरनगर निवासी सुमित मलिक जो सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ साथ आरटीआई एक्टिविस्ट भी है उन्होंने मुज्जफरनगर के थाना सिविल लाइन में भारतीय दंड संहिता की धारा 188/420 के तहत एफआईआर संख्या 0095 दिनांक 02 अप्रैल 2020 में फर्जीवाड़ा करने वाली संस्था प्रयत्न और उसके संचालक समर्थ नामक व्यक्ति के विरुद्ध नामजद अभियोग पंजीकृत कराया है। समाचार लिखे जाने तक जैसे ही फर्ज़ीवाड़े में लिप्त समर्थ नामक व्यक्ति को एफ आई आर होने की सूचना मिली तो वह भूमिगत हो गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अपने रसूख के चलते समर्थ नामक फर्जीवाड़ा करने वाला व्यक्ति सिविल लाइन थाना पुलिस पुलिस के सम्पर्क में है लेकिन एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पुलिस आरोपी समर्थ को गिरफ्तार नहीं कर रही है जबकि स्थानीय नागरिकों के अनुसार वह अपने घर पर ही मौजूद है। पुलिस का यह गैर जिम्मेदाराना रवैया उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार के कामकाज पर प्रशन चिन्ह लगा रहा है। गौतलब है कि पिछले दिनों दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध इकाई ने रविवार को एक फर्जी ‘यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’ (यूपीआई) आईडी का पता लगाया था। जिसे कोरोना वायरस प्रकोप से मुकाबले के लिए हाल में शुरू किये गए पीएम केयर्स फंड के दानदाताओं को धोखा देने के लिए बनाया गया था।
डीसीपी (अपराध शाखा) अनयेश रॉय ने एक ट्वीट में कहा कि pmcare@sbi आईडी से एक फर्जी यूपीआई बनायी गई थी जो कि सही आईडी pmcares@sbi से मिलती जुलती थी। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक को फर्जी आईडी के बारे में सूचित कर दिया गया है और बैंक ने उससे लेनदेन पर रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है और आरोपियों की पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं। उधर सामाजिक कार्यकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट सुमित मलिक ने बताया की ऐसे बहुत लोग उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों, गांव, कस्बों में अपनी-अपनी दुकानें राहत कोष के नाम पर खोल चुके हैं। जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार को संज्ञान लेकर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने ऐसे कृत्यों की निंदा करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के इस विश्वव्यापी संकट की ऐसी घड़ी को भी चंद साइबर ठग, फ़र्ज़ी संस्थाएं चलाने वाले अपनी ठगी और अवैध कमाई से धन उगाहने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं।

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