खाता ना वही, PESB कर दे वो सही, या यूँ कहें (PESB से सब होत है, पड़ाई लिखाई से कछु नाहि, G M को निदेशक करे और निदेशक को बाहर का रास्ता दिखाईं) अक्सर सरकारी काम क़ाज करने वाली संस्थाओं पर तोते जैसी मीठी मीठी बोली बोलने के इल्ज़ामात नाफ़िद होते चले आये हैं , सरकारें चाहें किसी भी सियासी जमात की हों पर मिट्ठू मिट्ठू बुलवाना सभी को पसंद हैं, ताज़ा उदाहरण हाल ही में PESB द्वारा जारी एक फ़रमान में देखने को मिला है।
PESB से जो उम्मीद लगाई जा रही थी वो कर दिखाया ,IOCL के निदेशक वित्त को ले कर दिल्ली हाई कोर्ट में एक शिकायत श्री रुचिर अग्रवाल द्वारा दर्ज कराई गई जिस में PESB पर ये इल्ज़ाम नाफ़िद किया गया कि क़ाबलियत होते हुए भी PESB ने मुझे इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया दिल्ली का उच्च न्यायालय इस में दखल दे, कोर्ट में दाखिल याचिका को कोर्ट ने सही माना और PESB को ये हुक्म जारी किया कि IOC के डायरेक्टर फाइनेंस की पोस्ट के लिए रुचिर अग्रवाल को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाए , PESB ने कोर्ट का पालन करते हुए उम्मीदवार को बुलाया और इंटरव्यू के नतीजे 23 जून तक के लिए मुल्तवी कर दिये गये। श्री रुचिर अग्रवाल के इस कदम से ये तो तय हो गया था कि चाहें कुछ भी हो इस पद के लिये उनका सेलेक्ट होना ना मुमकिन है, । चलिए ये बात तो समझ में आती है , पर PESB द्वारा इस पद के लिये 23 जून को जो घोषणा की गई हमारे तेल और गैस के एक्सपर्ट के मुताबिक़ ” बात कुछ हज़्म नहीं हुई “ जिस नाम का ऐलान PESB द्वारा किया गया हमारे एक्सपर्ट के मुताबिक़ उसे आशीर्वाद के रूप में भी देखा जा सकता है। इस आशीर्वाद रूपी भ्रमास्त्र ने लिस्ट में बाक़ी सभी उम्मीदवारों को ना सिर्फ़ घायल किया बल्कि उनके मनोबल को पूरी तरह से तोड़ दिया। एक्सपर्ट की राय है कि पहली नज़र में अगर लिस्ट देखी जाये तो श्री सी. शंकर ईडी सब से वरिष्ठतम श्रेणी में इस पद के लिये शायद सही उम्मीदवार होते पर उनके ऊपर इस भ्रमास्त्र ने सबसे ज़्यादा मार की उनके ना सिर्फ़ घायल किया बल्कि पूरी तरह प्राण पखेरू उखाड़ दिये।
newsip पहले से कहता रहा है कि पीईएसबी के चयन/नामांकन में ज्यादा दिलचस्पी है। हमारा मानना है कि भ्रष्टाचार उच्च पदो के चयन से ही शुरू होती है। क्या पीईएसबी के लगतार मुलआधारो के विपरित जा कर कार्य कर रहा है। ? क्या ये मान लिया जाये कि पीईएसबी के शीर्ष नेतृत्व पर कोई फर्क नहीं नहीं पड़ेगा , वो अपना काम अपने हिसाब से ही करते रहेंगे कोई नियम अनुसर नहीं।या यूँ समझा जाये कि हम नहीं सुधरेंगे।