ऊर्जा संगम 2015 से IEW23 तक का सफ़र नतीजा सिफ़र

नई दिल्ली : भारतीय तेल और गैस की कंपनियाँ दुनियाँ में उभरते हुए लीडर भारत के प्रधानमंत्री को क्या बहुत हल्के में ले रहीं है ? सवाल बड़ा है , पर सवाल तो है , अगर हम ये सवाल कर रहे हैं तो क्यों कर रहे हैं , जवाब हमे भारतीय तेल और गैस कंपनियों के व्याख्यान से ही तलाशना होगा ।
वर्ष 2015 स्थान दिल्ली , ONGC द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने तेल और गैस के कारोबार वाली सरकारी और ग़ैर सरकारी कंपनियों से अपील करते हुए कहा “2022 में जब भारत की आज़ादी के 75 साल पूरे होने जा रहे होंगे और देश अपनी आज़ादी का अमृत पर्व मनायेगा तब क्या आज़ादी के उस पर्व पर हम तेल और गैस में 77 % में से कम से कम 10% इंपोर्ट कम करेंगे मै ज्यादा नहीं केवल और केवल सिर्फ़ दस प्रतिशत कह रहा हूँ , अगर हम एक बार 22 में दस प्रतिशत इंपोर्ट करने में सफल हो जाते हैं तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि 2030 में हम इस इंपोर्ट को पचास प्रतिशत ला सकते हैं , इस ऊर्जा संगम में जो लोग आए हैं मै आपसे आग्रह करता हूँ कि तेल गैस की जो भी सरकारी कंपनियाँ हैं , प्राइवेट कंपनियाँ या PSUs हैं वो सभी ऐसा प्रयास करके हम विश्व को एक नई ऊर्जा प्रदान करें “-प्रधानमंत्री।
प्रधानमंत्री के इस वाक्यांस पर सभाघर में बैठे हुए तेल और गैस कंपनियों के CMD और आला अफ़सरों ने ताली बजा कर इस पर सहमति ऐसे प्रदान की जैसे उन्होंने प्रधानमंत्री से उस दिन ये वादा किया हो की प्रधामन्त्री के सपने को हम 2022 तक पूरा करेंगे ।
प्रोग्राम ख़त्म हुआ मिशन 2030 के सपने को ले कर तेल और गैस कंपनियों के बड़े बड़े और लंबे लंबे बयान आये क्योंकि सरकार को केवल एक साल पूरा हुआ था सभी अफ़सर प्रधानमंत्री की लिस्ट में अव्वल नंबर आना चाहते थे इसलिए बहुत हूँ हल्ला हुआ पर नतीजा जब हमने आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया तब हमारी तेल और गैस कंपनियों का इंपोर्ट आँकड़ा क्या था ? क्या किसी भी तेल और गैस कंपनी ने इस विषय पर चर्चा की ? या इस लक्ष्य को हासिल करने में उन्हें कितनी कामयाबी मिली कोई मंथन हुआ ? जवाब है नहीं हुआ ? क्योंकि वर्ष 2015 से अब तक ना जाने कितने गैस और तेल कंपनी के CMD और आला अफ़सर अपनी सेफ रिटायरमेंट ले कर या तो कहीं सरकारी अमले में एडजस्ट हो गये या फिर प्राइवेट कंपनियों में सलाहकार के रूप में नियुक हो गये ।
अब फिर FIPI द्वारा IEW-23 के आयोजन में सभी गैस और तेल की कंपनियों का जमावड़ा लगा प्रधानमंत्री ने इस बार फिर ग्रीन ऊर्जा और मिशन 2030 की बात दोहराई , इस बार भी सभी गैस और तेल की कंपनियाँ प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने के लिए जी जान लगाने की बात कर रही हैं । लेकिन इसमें कितना प्रैक्टिवल है इस बात को परखने के लिए हम तेल और गैस कंपनियों के आला अफ़सरों से संपर्क करेंगे और पूछेंगे प्रधानमंत्री के इस मिशन 2030 को पूरा करने के लिए उनके पास क्या मानचित्र है ? है भी या नहीं ? या आज के अफ़सर भी पिछले अफ़सरों की तरह सेफ रिटायरमेंट ले कर चलते बनेंगे । क्योंकि अब जवाबदेही तय करने का वक़्त आ गया है , हमारी टीम प्रधानमंत्री कार्यालय और प्रधानमंत्री से भी संपर्क कर उनसे उपरोक्त विषय में मिशन 2030 को पूरा करने के लिए आज के तेल ओर गैस के आला अफ़सरों के साथ साथ सरकार को इस विषय में सलाह देने वाले बाबुओं की भी ज़िम्मेदारी तय करने के लिए अनुरोध करेगी , और ये भी अनुरोध करेगी कि अगर इस मिशन को पूरा करने के दौरान किसी भी अफ़सर या सलाहकार बाबू की रिटायरमेंट होती है तो उस अफ़सर या सलाहकार बाबू को तब तक सेवा मुक्त ना किया जाये जब तक वो अफ़सर या सरकारी सलाहकार बाबू इस मिशन में अपने रोल की पूरी व्याख्या से प्रधामन्त्री या प्रधानमंत्री कार्यालय को अवगत ना करा दे ।
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