जैसे शिव जी पूरे संसार को निगल जाते थे वैसे ही कांग्रेस की आईडियोलॉजि भाजपा की आईडियोलॉजि को निगल जाएगी -राहुल गांधी
बीजेपी हिंदुत्व की बात करती है, हम कहते हैं कि हिंदु धर्म में और हिंदुत्व में फर्क है। क्योंकि अगर फर्क नहीं होता, तो नाम एक ही होता। हिंदुत्व को या तो हिंदू की जरुरत नहीं होती या हिंदुत्व की जरुरत नहीं होती। हिंदुस्तान में दो विचारधाराएं हैं- एक कांग्रेस पार्टी की विचारधारा और एक आर.एस.एस. की विचारधारा

मुंबई : हिंदुस्तान में दो विचार धाराएं हैं- एक कांग्रेस पार्टी की विचारधारा और एक आर.एस.एस. की विचारधारा हमें ये बात माननी पड़ेगी कि आज के हिंदुस्तान में बीजेपी-आर.एस.एस. ने नफरत फैला दिया है और कांग्रेस की विचारधारा, जो जोड़ने की, भाईचारे की, प्यार की विचारधारा है, उसको बीजेपी की नफरत भरी विचारधारा ने ओवर शेडो कर दिया है, मिटाया नहीं है, हराया नहीं है, मगर उनका प्रोपेगेशन हमारे प्रोपेगेशन से ज्यादा है। मतलब उनके हाथ में लाउड स्पीकर है, उनके हाथ में एम्पलीफायर है, उनके हाथ में मशीनरी है। हमारे हाथ में एम्पलीफायर नहीं है, लाउड स्पीकर नहीं है, मशीनरी नहीं है।
2014 से पहले हमारे लिए ट्रेनिंग ऑप्शनल हो सकती थी। विचारधारा की जो लड़ाई थी, वो फोक्सड नहीं थी। आज के हिंदुस्तान में विचारधारा की लड़ाई सबसे जरुरी हो गई है। आईडियोलॉजिकल लड़ाई सबसे जरुरी लड़ाई हो गई है। ये जो हमारी विचारधारा है, इसको हम कांग्रेस की विचारधारा कहते हैं, मगर ये हमसे बहुत पुरानी है।

बीजेपी हिंदुत्व की बात करती है, हम कहते हैं कि हिंदु धर्म में और हिंदुत्व में फर्क है। क्योंकि अगर फर्क नहीं होता, तो नाम एक ही होता। हिंदुत्व को या तो हिंदू की जरुरत नहीं होती या हिंदुत्व की जरुरत नहीं होती। जैसे एक बार चीन के कुछ नेता लोगआए थे, मैंने उनसे पूछा कि आप कहते हैं कि आप कम्युनिस्ट हो और फिर आप कहते हैं कि आप कम्युनिस्ट विद चीनी कैरेक्टरिस्टिक हो। तो आप मुझे ये बता दो कि आप कम्युनिस्ट हैं या आपके पास चीनी कैरेक्टरिस्टिक हैं? दोनों तो हो नहीं सकते। क्योंकि अगर आप कम्युनिस्ट हैं, तो आपको कम्युनिस्ट ही कहलाना चाहिए, तो मुस्कुराने लगे। तो यही सिंपल सा लॉजिक हैं, अगर आप हिंदू हो तो हिंदुत्व की क्या जरुरत है? ये नए नाम की क्या जरुरत है? और ये जो हमारी विचारधारा है, ये पुरानी है। इसमें मैं मानता हूं कि जिस शक्ति को हम शिव कहते हैं, शिवा कहते हैं, उसका वो ये एक प्रतीक थे। कबीर, गुरु नानक, महात्मा गांधी, बहुत सारे लोगों ने इस विचारधारा को अपनाया और फैलाया। उनके भी आईकोन्स हैं, हमारे भी आईकोन्स हैं। उनके आईकोन्स सावरकर, हमारे आईकोन महात्मा गांधी। हमने जिस प्रकार से अपनी विचारधारा को, जिस गहराई से अपनी विचारधारा को समझना चाहिए और फैलाना चाहिए, पहले हम करते थे, वो हमने छोड़ दिया और उसके कारण थे, किसी की गलती नहीं, मगर कारण थे। मगर अब समय आ गया है कि हमने अपनी विचारधारा को अपने संगठन में गहरा करना है। इसके लिए हमें 100, 200, 300, 400 लोगों की जरुरत है, जो इस विचारधारा को गहराई से समझें और अपनाएं। इस विचारधारा के बन जाएं। उनमें से आप मेरे सामने बैठे हो और हमारा लक्ष्य इस विचारधारा को पूरे हिंदुस्तान में फैलाने का है, समझाने का है और हमारे जो कार्यकर्ता हैं, उनसे इस विचारधारा को कोने-कोने तक पहुंचाने का है।
मेरे मुताबिक आईडियोलॉजिकल ट्रेनिंग जो है, विचारधारा की ट्रेनिंग जो है, मेरे मुताबिक उसे कंपल्सरी होना चाहिए। कांग्रेस का कोई भी व्यक्ति चाहे वो कितना भी सीनियर हो, कितना भी जूनियर हो, उसके लिए ट्रेनिंग मैंडेटरी होनी चाहिए और सिस्टमेटिक्ली अलग-अलग लेवल की ट्रेनिंग पूरे देश में हमें करनी है। मैं सोचता हूं कि मुद्दों के स्तर पर अगर हमने अपनी विचारधारा को अपने संगठन में गहराई से फैलाया और सोच के लेवल और एक्शन के लेवल पर, जैसे हम कभी-कभी कहते हैं कि 370 पर बात होती है, अलग-अलग मुद्दों पर बात होती है। आतंकवाद पर बात होती है, नेशनलिज्म पर बात होती है। इन सब इशूज पर, मुद्दों पर कांग्रेस की विचारधारा के पास जवाब है, अच्छे जवाब हैं। मगर हमारे कार्यकर्ताओं को हम ये औजार नहीं देते हैं। आज बदलाव का समय है, हमें ये औजार अपने हर एक कार्यकर्ता के हाथ में देना है। इसलिए आप सब आए हैं, मैं आपको बधाई देता हूं और विश्वास से कहता हूं कि जिस काम के लिए आप आज निकले हैं, उस काम को गहराई से आप पूरा करके दिखाएंगे और मैं भी आपके साथ इस काम को पूरा करके दिखाऊंगा।
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