नई दिल्ली ,२८ जुलाई: समाजवादी नेता सुदीन जयपाल रेड्डी का जन्म 16 जनवरी, 1942 को एक छोटे से गाँव मडगुल, जिला महबूब नगर, आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के एक किसान परिवार में हुआ था। रेड्डी जी ने अपनी उच्च शिक्षा उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से की और छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि के साथ-साथ युवा कांग्रेस में शामिल हो गए और सभी बड़े नेताओं का मिलना जारी रहा और बाद में लगभग चार वर्षों तक राज्य कांग्रेस कमेटी के महासचिव के पद पर रहे। काम किया। वह दो दशकों तक राज्य विधान सभा के सदस्य रहे।
“उनकी विकलांगता कभी भी विकलांग जयपाल रेड्डी साहब को पीछे नहीं कर सकती थी, उनमें बहुत आत्मविश्वास था और हमेशा एक मुस्कुराता हुआ चेहरा उनके जीवन का प्रतीक बना रहा।”
रेड्डी ज़ी ने इंदिरा गांधी की तानाशाही के खिलाफ कांग्रेस छोड़ दी थी और जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद 1984 में राजीव गांधी के नेतृत्व में हुए लोकसभा के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 404 सीटों का प्रचंड बहुमत मिला, जिसमें जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर जी चुनाव हार गए, लेकिन अंधेरा, रेड्डी जी ने चुनाव जीत लिया और चंद्रशेखर जी के लिए अपनी लोकसभा सीट छोड़ने की पेशकश की, लेकिन चंद्रशेखर जी ने इनकार कर दिया और कहा कि पार्टी का काम लोकसभा के बिना किया जा सकता है।
मेरी उनसे मिलने की इच्छा थी और मैं उनसे मिलने गया था, तब तक कांग्रेस में जा चुके थे और नाम लेकर कहा और सामने सोफे पर बैठने का संकेत दिया था। संयोग से वे अकेले थे, श्री शरद यादव जी का भी हालचाल लिया। बातचीत में उन्होंने कहा कि बिहार के पांच बड़े नेता स्व जार्ज फर्नाडिस, स्व रामविलास पासवान, श्री शरद यादव, लालू प्रसाद यादव, और श्री नितीश कुमार चुनाव लड़ते हैं और जहां दूसरे राज्यों या अन्य राज्यों के कार्यकर्ता हैं, उनकी चिंता उनके मन को डरा रही थी।
जयपाल रेड्डी साहब राज्य विधान सभा से लोकसभा तक। राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन में विपक्ष के नेता ने कुशलता से काम किया, इस बीच उनकी वैशाखी कभी भी उनका मनोबल नहीं रोक पाई।
रेड्डी साहब श्री शरद यादव जी के निवास पर मिलने के लिए आये और दोपहर का खाना, काफी समय बिताया था रेड्डी साहब। वह अपने पत्रकार भाइयों के बहुत करीब थे।
77 वर्षीय रेड्डी साहब का 28 जुलाई 2019 को निधन, आज दूसरी बरसी पर श्रद्धांजलि है।-राम बोहर साहू