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पेट्रोलियम कंपनियों को हुए घाटे के बावजूद, सब्सिडी और मुआवज़े से सरकार ने आम नागरिकों को राहत दी-पुरी

7 अप्रैल 2025: नई दिल्ली। कभी जो गैस सिलेंडर एक सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता था, आज उसकी उपलब्धता देश के कोने-कोने तक पहुँचाई जा चुकी है। एलपीजी कनेक्शन पाने के लिए वर्षों तक इंतजार किया जाता था, लेकिन अब यह प्रक्रिया डिजिटल माध्यमों द्वारा सरल बना दी गई है। वितरण और बुकिंग की प्रक्रियाएँ अब SMS, IVRS, व्हाट्सएप, कॉल सेंटर, OMC मोबाइल ऐप, वेब पोर्टल्स और ई-कॉमर्स चैनलों के ज़रिए पूरी की जा रही हैं।

उज्ज्वला योजना के माध्यम से बदली लाखों ज़िंदगियाँ
2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के ज़रिए ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को स्वच्छ ईंधन प्रदान किया गया है। मार्च 2025 तक लगभग 10.33 करोड़ लाभार्थियों को योजना का लाभ दिया जा चुका है। इस पहल को अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी द्वारा “ऊर्जा गरीबी को समाप्त करने वाला गेम-चेंजर” कहा गया है।

एलपीजी अवसंरचना में रिकॉर्ड वृद्धि
एलपीजी कवरेज को 2014 के 55.9% से बढ़ाकर 2025 तक 107.4% कर दिया गया है। बॉटलिंग प्लांट्स की संख्या में भी वृद्धि दर्ज की गई है – 187 से 212 तक। देशभर में वितरकों की संख्या 13,896 से दोगुनी होकर 25,554 हो गई है। यह सब कुछ डिजिटल ट्रैकिंग और टेक्नोलॉजी की सहायता से संभव हुआ है।

एलपीजी मूल्य निर्धारण और सब्सिडी प्रणाली
भारत अपनी ज़रूरत का 60% से अधिक एलपीजी आयात करता है। अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बदलाव के बावजूद उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को राहत प्रदान की जाती रही है। फरवरी 2025 में दिल्ली में 14.2 किलोग्राम एलपीजी सिलेंडर की खुदरा कीमत जहाँ 1028.50 रुपये थी, वहीं सब्सिडी के बाद उज्ज्वला लाभार्थियों के लिए यही सिलेंडर केवल 503 रुपये में उपलब्ध कराया गया।

डिजिटल पारदर्शिता से उपभोक्ताओं को मिला भरोसा
ईंधन की कीमतों और सब्सिडी की स्थिति को पारदर्शी बनाने के लिए OMC के मोबाइल और वेब प्लेटफॉर्म्स पर लाइव जानकारी दी जाती है। ऐप्स के ज़रिए रिफिल स्थिति, वितरण ट्रैकिंग और शिकायत निवारण को आसान बना दिया गया है।

भारत में एलपीजी सबसे सस्ती
भारत में घरेलू रसोई गैस की कीमतें पड़ोसी देशों की तुलना में सबसे कम हैं। 1 अप्रैल 2025 को जहाँ पाकिस्तान में सिलेंडर की कीमत 1080 रुपये, नेपाल में 1206 रुपये और श्रीलंका में 1218 रुपये थी, वहीं दिल्ली में यही सिलेंडर केवल 803 रुपये में उपलब्ध था, और उज्ज्वला लाभार्थियों को और भी कम दर पर।

पेट्रोल और डीज़ल की दरें नियंत्रित
NDA शासनकाल में पेट्रोल और डीजल की दरों में वृद्धि UPA सरकार की तुलना में काफी कम रही है। इसके पीछे मुख्य कारण है – सक्रिय उत्पाद शुल्क में कटौती और वैश्विक बाजार के प्रभावों को कुशलता से प्रबंधित करना।

राज्यों में वैट दरों में असमानता
ग़ैर-NDA शासित राज्यों में वैट दरों को कई बार बढ़ाया गया है, जिससे वहां पेट्रोल और डीजल के दाम ऊँचे हैं। उदाहरण के लिए, मार्च 2025 में लखनऊ में पेट्रोल की कीमत 94.69 रुपये थी, जबकि तेलंगाना में यह 107.46 रुपये पर थी।

निष्कर्ष
डिजिटल तकनीक, सब्सिडी आधारित योजनाएं और वैश्विक अस्थिरता में भी स्थिर नीति निर्माण के ज़रिए भारत ने न केवल ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाया है, बल्कि नागरिकों को सस्ती और सुलभ सुविधा भी प्रदान की है। उज्ज्वला योजना, डिजिटल एप्स और पारदर्शी मूल्य प्रणाली – ये सभी तत्व भारत को ऊर्जा के डिजिटल भविष्य की ओर ले जा रहे हैं।

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