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50,000 घरों की उम्मीद या फिर एक और इंतजार?

नई दिल्ली, 16 दिसंबर: हजारों घर खरीदारों की तकदीर एक बार फिर एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के हाथों में है। सुपरटेक लिमिटेड की 16 रुकी हुई परियोजनाओं, जिनमें लगभग 50,000 आवास इकाइयां शामिल हैं, को पूरा करने का जिम्मा एनबीसीसी को सौंपा गया है। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश के तहत चार राज्यों—उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और कर्नाटक—में ये परियोजनाएं तीन वर्षों में पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।

इधर NBCC को सुपरटेक होम बायर्स के अधूरे मकान पूरे करने का जिम्मा मिला , तो वहीं दूसरी तरफ़ नोएडा से कुछ ख़बर भी प्रकाश में आई , ख़बर पर NBCC के एक निदेशक ने NewsIP को बताया कि ख़बर निराधार है

खरीदारों के लिए राहत या नई चिंता?

सुपरटेक के वर्षों से अटके प्रोजेक्ट्स ने लाखों परिवारों का सपना अधूरा छोड़ दिया था। अब एनबीसीसी के कदम से खरीदारों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।

सकारात्मक पक्ष:
•   आम्रपाली परियोजनाओं की सफलता से खरीदारों को भरोसा है कि एनबीसीसी इन प्रोजेक्ट्स को भी समय पर पूरा कर सकती है।
•   सरकारी उपक्रम होने के कारण एनबीसीसी से पारदर्शिता और जवाबदेही की उम्मीद है।
•   तीन साल की निश्चित समय-सीमा ने कई खरीदारों में उम्मीदें जगाई हैं।

नकारात्मक अनुभव और चिंताएं:
•   “हमने पहले भी भरोसा किया था, लेकिन हमें मिला क्या?”—आम्रपाली प्रोजेक्ट्स के कई खरीदार आज भी गुणवत्ता और समय पर कब्जे को लेकर परेशान हैं।
•   देरी का डर: “अगर आम्रपाली प्रोजेक्ट्स की तरह यहां भी समय सीमा बढ़ती गई, तो हमारा क्या होगा?”—कई खरीदारों की चिंता यही है।
•   गुणवत्ता पर सवाल: आम्रपाली प्रोजेक्ट्स में घटिया निर्माण की शिकायतें एनबीसीसी की छवि पर अब भी दाग छोड़ रही हैं।

बड़ा सवाल: 50,000 घर, लेकिन कौन उठाएगा खर्च?

एनबीसीसी को इन परियोजनाओं के लिए वित्तीय जिम्मेदारी नहीं उठानी है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर निर्माण का खर्च कहां से आएगा? परियोजना की अनुमानित लागत ₹9,445 करोड़ है, और इसका प्रबंधन करना बड़ी चुनौती बन सकता है।

भरोसे की परीक्षा

एनबीसीसी के लिए यह परियोजनाएं न केवल खरीदारों की उम्मीदों का मामला हैं, बल्कि उसकी अपनी प्रतिष्ठा का भी सवाल हैं। क्या एनबीसीसी समय पर और गुणवत्ता के साथ ये 16 परियोजनाएं पूरी कर पाएगी, या फिर यह एक और लंबा इंतजार बनकर रह जाएगी?

खरीदारों के लिए यह समय उम्मीदों और आशंकाओं का संगम है। एनबीसीसी के लिए यह परियोजनाएं सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि खोए हुए विश्वास को फिर से पाने की परीक्षा है।

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