युवावस्था में हमें सबसे ज्यादा स्वयं अर्थात ‘I’ पर विश्वास होता है लेकिन ‘मैं’ अकेला कुछ भी नहीं होता-जगत प्रकाश नड्डा

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने  वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राजस्थान के प्रतिष्ठित प्रतापविश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 800 से अधिक छात्र-छात्राओं को विभिन्नप्रकार की डिग्री डिजिटली प्रदान किया गया। कार्यक्रम में प्रताप विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री शैलेन्द्र भदौरिया, उप-कुलपति श्री अभय कुमार,विश्वविद्यालय की ट्रस्टी श्रीमती सुरभि भदौरिया, यूनिवर्सिटी के फैकल्टी मेंबर्स, डिग्री लेने वाले छात्र-छात्राएं और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विद्वान सज्जनवृंदउपस्थित थे। श्री नड्डा ने इस कार्यक्रम के लिए आयोजकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आज जो भी विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करके उससे अर्जित ज्ञान के सहारे नए जीवन में प्रवेश कर रहे हैं, मैं उन सब को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ। मुझे विश्वास है कि आप अपनी शिक्षा का भरपूर उपयोग करते हुए, इसे माध्यम बनाते हुए एक सफल नागरिक के रूप में प्रतिष्ठित होंगे और देश सेवा एवं जन-सेवा के लिए समर्पित भाव से काम करेंगे। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि यह सही है कि युवावस्था में हमें सबसे ज्यादा स्वयं अर्थात ‘I’ पर विश्वास होता है लेकिन ‘मैं’ अकेला कुछ भी नहीं होता। ‘मैं’ तभी सफल होता है जब वह ‘हम’ को पहचान ले। आपने यूनिवर्सिटी की अपनी शिक्षा पूरी की है, आपको आज डिग्री भी मिली है, इसमें आपका योगदान है – यह सही है लेकिन इसमें केवल आपके अकेले का योगदान नहीं है बल्कि इसमेंआपके माता-पिता, गुरुजन, मित्र, यूनिवर्सिटी के कर्मचारी और आपके आस-पास के लोगों का भी योगदान है। आपको अपने माँ-बाप की मेहनतका स्मरण करना चाहिए कि उन्होंने किस कष्ट में रहते हुए आपको यहाँ तक पहुंचाया है। आपको अपने गुरुजनों के आशीर्वाद का स्मरण करना चाहिएकि किस तरह उन्होंने आपकी कमियों को दूर करते हुए आपकी प्रतिभा को निखारने में मदद की है। आपको कपड़े साफ कर देने वाले, खाना बनाने वाले, चाय पिलाने वाले, सबका आभारी होना चाहिए क्योंकि उन सबका आपकी सफलता में योगदान है। और, चूंकि आपकी शैक्षणिक सफलता मेंआपके आस-पास के सभी लोगों का योगदान है, इसलिए आपकी शिक्षा तभी सार्थक और फलीभूत होगी जब इनके जीवन के उत्थान में आपकीशिक्षा काम आएगी। इसलिए, आपकी शिक्षा जन-कल्याण, समाज के विकास और देश के काम आ सके, इस तरह का संकल्प लेकर आपकोजीवन में आगे बढ़ना चाहिए। आप हमेशा अपने माँ-पिताजी और गुरुजन के ऋणी रहेंगे, इसलिए अपने जीवन में उन्हें न भूलें। उन्होंने छात्रों कोअपनी कॉलेज लाइफ के बारे में बताते हुए देर रात को गर्म-गर्म खाना बना कर देने वाले, सुबह-सुबह गर्मागर्म कॉफ़ी देने वाले, एक्जाम हॉल तक पहुँचानेवाले सभी का स्मरण करते हुए उनके योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात यह होती है कि जबवह अपने छात्र को सफलता की ऊंचाई पर देखता है, इसलिए आप सभी छात्रों को अपने शिक्षकों को गर्व करने का अवसर देना चाहिए।

शिक्षा पद्धति पर चर्चा करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि शिक्षा रटने-रटाने की चीज नहीं, बल्कि यह कंसेप्ट और एप्लीकेशन का है। व्यवहारिक जीवनमें एप्लीकेबिलिटी और कंसेप्ट पर यकीन रखें, तभी आपकी शिक्षा समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होगी नहीं तो उसका कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।एप्लीकेशन के साथ-साथ एप्टीट्यूड और थिंकिंग भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत सदियों तक विश्वगुरु रहा है, हमने दुनिया को ज्ञान के प्रकाश सेआलोकित किया है। नालंदा और तक्षशिला इसके भव्य उदाहरण हैं। यहाँ विदेशों से छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे, इतिहास इसका साक्षी रहा है।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हम भारत के उसी गौरवशाली विरासत को पुनर्स्थापित करने के लिए संकल्पबद्ध हो काम कर रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि हमारी शिक्षा और हमारा सामाजिक विचार संपूर्णता में है, सबको साथ लेकर और सबके लिए की परंपरा में है। हमारेदर्शन में तो विचार को मन, बुद्धि और आत्मा के एकीकृत भाव से जोड़ कर व्यक्त किया गया है। जब मैं एप्लीकेशन की बात करता हूँ तो इसएप्लीकेशन ऑफ नॉलेज को परंपरा, संस्कृति, सभ्यता और अनुभव से जोड़ना चाहिए, तभी हमारा विचार प्रासंगिक हो पायेगा।अंग्रेजों द्वारा भारत पर थोपे गए लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति पर करारा प्रहार करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि मैकाले ने अपने ऑब्जरवेशन में भारत कीशिक्षा नीति और नैतिक मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि बिना भारत की सांस्कृतिक विरासत को विखंडित करते हुए, बिना फूट डाले हुए औरबिना भारत की पारंपरिक शिक्षा पद्धति को ध्वस्त करते हुए भारत पर अधिकार करना संभव नहीं है। मैकाले ने एक भारत में एक ऐसे क्लास को डेवलपकरने की बात की जिसका ब्लड तो इंडियन हो लेकिन इन्टेलेक्ट, टेस्ट और हैबिट्स अग्रेजों की तरह हो। और, हम उसी उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद से ग्रसित शिक्षा नीति पर चलते रहे लेकिन हम आभारी हैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जिन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया।

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