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IOCL के 1992 करोड़ रुपये के घाटे का असली रहस्य क्या है, क्या हिदुस्तान खाई की और बड़ रहा है ?

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने Q1 में जारी किये अपने वित्तीय परिणामों में 1992 करोड़ का नुक़सान दर्ज कराया है, इस नुक़सान की असली वजह पेट्रोल और डीज़ल की भारत के अंदर बिक्री बताई जा रही है, अभी HPCL , BPCL के परिणाम आने बाक़ी हैं देखना होगा HPCL ,BPCL इस मामले में Q1 में कितना नुक़सान या फ़ायदा दर्ज कराते हैं  ?

जबकि रिलायंस ने अपने Q1 में भारी मुनाफ़े की वृद्धि की है, जैसा कि हम अपने लेख में पहले ही बता चुके हैं जिस तरह से रिलायंस ने सस्ते दामों पर क्रूड ऑयल लेकर विदेशों में एक्सपोर्ट किया और हिन्दुस्तान में अपनी बिक्री पर रोक लगाई जिसका सारा बोझ  हमारी PSUs  को झेलना पड़ा, नौबत यहाँ तक आ गई कि कई राज्यों में पेट्रोल पंप ड्राई हो गये और सरकार को विंडफाल कर लगाना पड़ा, वो अलग बात है कि सरकार ने बाद में इस कर को हटा लिया ?

प्राइवेट कंपनी की हरकतों का नतीज़ा IOCL का Q1 वित्तीय परिणाम हमारे सामने है, क्या सरकारी सलाहकार इस घाटे की जिम्मदारी उठायेंगे ? अभी हम इंतज़ार कर रहे हैं BPCL और HPCL के वित्तीय परिणामों का जैसे ही दोनों कम्पनियों के परिणाम घोषित होंगे तब हम अपने दर्शकों को बतायेंगे तेल और गैस के सेक्टर को किस तरह से मोनोपोलॉइज़ेशन की तरफ़ ले ज़ाया जा रहा है, क्या तेल और गैस सेक्टर भविष्य में सोल मोनोपॉली का शिकार हो जाएँगे  ?

जानकारो की राय है कि monopoly एक ऐसी सभ्यता है जो अपने साथ तबाही लाती है जिस तबाही में राष्ट्र और नागरिक दोनों ही पिसते हैं, विंडफाल कर लगाने की सलाह दे कर उसे वापस लेने वाले सरकारी सलाहकारों का कुछ नहीं जाएगा पर आम नागरिक की कमर पूरी तरह टूट जाएगी।

 

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