Message here

एक तरफ़ रिफाइनरी में आग ने कई को डसा तो दूसरी तरफ़ तेल के रिसाव ने बड़ाई लोगों की चिंता

नई दिल्ली : 15 दिसंबर 2023: भारत में कंपनियाँ बहुत जल्दी ये भूल जाती हैं कि उनके द्वारा ज़रा सी लापरवाही का ख़ामियाज़ा उन परिवारों को ज़िंदगी भर भुगतना पड़ता है जो कंपनी की लापरवाही की वजह से हादसों का शिकार हो जाते हैं।
भोपाल गैस त्रासदी को ले कर अभी भी पीड़ितों का दर्द गाहे व गाहे देखने को मिलता है। सबसे अहम बात ये है कि जब कंपनी का कार्य गैस या तेल से संबंधित हो तो ऐसे में उस कार्य में काम करने वाली कंपनियों की ज़िम्मेदारी और बड़जाती है।
हम अपने पाठकों को बताना चाहेंगे कि हाल ही में एक ऐसे हादसे की रिपोर्टिंग ख़ास देखने को नहीं मिली, हम बात कर रहे हैं चेन्नई में हुए तेल रिसाव की।
कई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ चेन्नई पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (CPCL) ने शुक्रवार को यह स्वीकार किया है कि चेन्नई में रिसने वाला तेल CPCL का ही है ,इससे पहले, कंपनी ने इस बात से  इनकार किया था कि रिसने वाला तेल CPCL का है। इस घटना के कारण, शहर के कई हिस्सों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया और नदी के जलजीवों को भी नुकसान पहुंचा ।
इस घटना का पता तब चला था जब शहर के निवासियों ने नदी में तेल के धब्बे देखे और उसकी शिकायत की। तब से, विभिन्न प्रशासनिक और पर्यावरणीय संगठनों ने इस मुद्दे को उठाया है और कंपनी से जवाब मांगा है। CPCL का कहना है कि इस घटना का कारण एक पाइपलाइन में रिसाव था, जिसे अब ठीक कर दिया गया है। कंपनी ने यह भी कहा है कि वह तेल को साफ करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और इसके लिए विशेषज्ञों की टीम को भेजी जा रही है।

CPCL की ५१ प्रतिशत हिस्सेदारी (IOCL) के पास है, जो एक सरकारी कंपनी है और हाल ही में इसी कंपनी की पानीपत रिफ़ाइनरी में आग की चपेट में आ जाने के कारण कई कर्मचारियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा,इस तरह की घटनायें लगातार होने से IOCL के प्रबंधन पर सवाल उठने लाज़मी है, इसलिए, सरकार पर भी दबाव बढ़ रहा है कि वह इस मामले की जांच करे और जिम्मेदारों को सजा दे। विपक्षी दलों और जनसंघर्ष समितियों ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई है और कहा है कि यह एक गंभीर पर्यावरणीय अपराध है, जिसका प्रभाव लंबे समय तक दिखाई देगा।
ऐसे में सरकार को चाहिएँ कि जिस अधिकारी की लापरवाही की वजह से इतनी बड़ी दुर्घटना हुई है उसकी जवाबदेही तय कर उसे दंडित किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी भयंकर दुर्घंटनाओं  की  पुनवर्ती ना हो सके, साथ ही साथ तेल और गैस कंपनियों का ऑडिट साल में कम से कम दो बार ईमानदारी से हो , ना  कि खानापूर्ति से।

Disclaimer : www.NewsIP.in provides news and articles for information only. We strive for accuracy but make no guarantees. Content reflects authors’ views, not ours. We’re not liable for errors, damages, or third-party links. Verify information independently. We may update or remove content anytime.

error: Content is protected !!