दिल्ली में शराब की दुकानों के मामले में दिल्ली सरकार ने सीबीआई जाँच की सिफ़ारिश की
नई दिल्ली : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को प्रेस-कांफ्रेंस के माध्यम से एक बड़ा खुलासा किया, उनके मुताबिक़ किस तरह से कुछ चुनिंदा दुकानदारों को फायदा पहुँचाने की नीयत से एक्साइज पॉलिसी 2021-22 में शराब की दुकानों के खुलने से ठीक 2 दिन पहले एलजी ने अपना निर्णय बदला, जिससे सरकार को हजारों करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ वहीँ कुछ दुकानदारों को हजारों करोड़ों का फायदा हुआ।
मई 2021 में जब सरकार ने एलजी ऑफिस में पॉलिसी को मंजूरी के लिए भेजा था तब एलजी ने इसे ध्यान से पढ़कर इसमें कई बड़े बदलाव करवाए थे, उस समय उनका स्टैंड अनऑथराइज्ड एरिया में दुकानें खोले जाने के पक्ष में था और उन्होंने उसे बाकायदा मंजूरी भी दी लेकिन वो पॉलिसी जिसे कैबिनेट ने और स्वयं एलजी ने मंजूरी दी थी, उसे किसके दबाव में आकर दुकानों के खुलने से ठीक 2 दिन पहले बदला गया ? क्यों कुछ दुकानदारों को फायदा पहुँचाने के लिए एलजी द्वारा अपने स्तर पर ही यह निर्णय लिया ? उपमुख्यमंत्री ने इस मसले का पूरा ब्यौरा सीबीआई को भेजा है और इसकी जाँच की मांग की है ।
नई पॉलिसी के तहत दिल्ली में शराब की दुकानों की कुल संख्या न बढा़ते हुए उन्हें पूरी दिल्ली में समानता के आधार पर वितरित करने का प्रावधान रखा गया था। दिल्ली में पहले 849 दुकानें थी, नई पॉलिसी में भी पूरी दिल्ली में 849 दुकानें होनी थी और ये दुकानें पूरी दिल्ली में बराबर बटनी थी। इसलिए पॉलिसी में ऐसे वार्डस का विवरण देते हुए बहुत स्पष्ट लिखा गया था कि दिल्ली के हर वार्ड में, यहां तक कि जहां पहले एक भी दुकान नहीं थी वहां भी, कम से कम दो दुकानें खोलने का प्रावधान रहेगा। उपराज्यपाल महोदय ने नई पॉलिसी को बहुत ध्यान से पढ़ कर ही इन प्रस्तावों को मंजूरी दी थी।
नई पॉलिसी में नॉन-कन्फॉर्मिंग एरियाज में उपराज्यपाल महोदय की मंजूरी लेकर शराब की दुकानें खोलने का प्रावधान रखा गया था। इस प्रावधान को कैबिनेट और खुद उपराज्यपाल महोदय ने मंजूरी दी थी। लेकिन जब कारोबारियों ने लाइसेंस ले लिए और अनऑथराइज्ड एरियाज में उनकी दुकान खोलने के प्रस्ताव उपराज्यपाल महोदय के कार्यालय में पहुंचे तो दुकानें शुरू होने से ठीक दो दिन पहले यानि 15 नवंबर 2021 को उपराज्यपाल कार्यालय ने एक नई शर्त लगा दी। उन्होंने कहा कि अनऑथराइज्ड एरियाज में दुकान खोलने के पहले डीडीए और एमसीडी की मंजूरी लेकर ही दुकानें खोली जाएं| श्री सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल महोदय को पता था कि डीडीए व एमसीडी इसकी मंजूरी नहीं दे सकते क्योंकि यह मामला अनाधिकृत क्षेत्र से संबंधित है और यहां दुकानें डीडीए व एमसीडी की मंजूरी से नहीं बल्कि उपराज्यपाल महोदय की मंजूरी से ही खुल सकती हैं। पुरानी एक्साइज पॉलिसी में भी उपराज्यपाल के स्तर पर मंजूरी लेकर ही दुकानें खोली जाती रही थी। उपराज्यपाल कार्यालय ने न तो कभी पुरानी एक्साइज पॉलिसी के तहत अनऑथराइज्ड एरियाज में दुकानें खोलने की मंजूरी देते वक्त इस तरह की कोई शर्त लगाई थी और न ही नई एक्साइज पॉलिसी को पास करते वक्त इस तरह की कोई शर्त लगाई थी, जिसके प्रावधानों में साफ-साफ लिखा हुआ था कि अनऑथराइज्ड एरियाज में उनकी मंजूरी लेकर दुकानें खोली जाएंगी।
उपराज्यपाल महोदय ने अपना निर्णय 48 घंटे पहले क्यों बदला, इससे किन दुकानदारों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ, उपराज्यपाल महोदय ने यह निर्णय खुद लिया या किसी के दबाव में लिया, उन दुकान वालों ने इसके बदले किसे कितना फायदा पहुंचाया, इन सब प्रश्नों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को इतने बड़े पैमाने पर हुए राजस्व के नुकसान और कुछ चुनिंदा लाइसेंस धारकों को फायदा पहुंचाने की नीयत से उपराज्यपाल महोदय के इस निर्णय की बहुत गंभीरता से जांच होनी चाहिए। इस बाबत उन्होंने इस मामले को सीबीआई जांच के लिए भेज दिया है।