गणमान्य में फिर हलचल कैबिनेट रिसफ़ल के हल्ले ने पकड़ा ज़ोर

(Z A Ansari) अकसर एक कहावत आपने सुनी होगी शेर आया , शेर आया , लोग बचाने आते हैं पर शेर नहीं आता , फिर एक दिन सचमुच में शेर आ जाता है पर लोग बचाने नहीं आते । कुछ ऐसा ही हाल मोदी सरकार में कैबिनेट रिसफलिंग का है। मीडिया शोर मचाती है  कैबिनेट रिसफल होने वाली है , कैबिनेट रिसफल होने वाली है , P M फ़लाँ मंत्री से नाराज़ हैं , पार्टी फ़लाँ मंत्री से नाराज़ हैं , फ़लाँ का जाना तय है . उसका आना तय है , हमारे बहुत क़रीबी सूत्र बता रहे हैं नाम फाइनल हो गया है सिर्फ़ मुहर लगना  बाक़ी है , इस हु हल्ले से कुछ पल के लिए तो कैबिनेट से जाने वालों के चेहरे की हवाइयाँ उड़ जाती हैं और जिनको मीडिया कैबिनेट में लाने के नाम चलाती है उसके चेहरे पर नूर आ जाता है मिठाइयाँ तैयार कराने से ले कर–दी चालीसा तक का जाप होने लगता है,  पर मोदी सरकार में ऐसा कुछ 2014 के बाद से अब तक तो हुआ नहीं है ।
इसके उलट अगर हम देखें तो जब भी कैबिनेट रिसफल होती है तो किसी को नहीं पता चलता सिवाय तीन जन के ,  वो तीन कौन हैं समझने वाले समझ कर अंदाज़ा लगा सकते हैं हम इस बारे में कोई भी ज्ञान देने में असमर्थ हैं । लेकिन इतना ज़रूर कहेंगे कि  “समझने वाले समझ के समझें, समझ समझना भी एक समझ है , समझ समझ कर भी जो ना समझे मेरी नज़र में वो ना समझ है” ..
इस बार भी पिछले कुछ समय से हल्ला हो रहा है कैबिनेट रिसफ़ल होने वाली है इस मंत्री की छुट्टी तय , उस मंत्री की छुट्टी तय , इसको लिया जाएगा , उसको लिया जाएगा, पर मेरे प्रिय पाठकों ये सब महज़ क़यास भर हैं जितना में जानता हूँ पार्टी के अंदर भी और सरकार में भी किसी भी दिग्गज की कोई औक़ात नही है कि  किसी से कोई सटीक जानकारी निकलवा पाये , चाहें भले ही वो PM, HM, PP, SL,R… के साथ सुबह दोपहर और शाम गुज़ारता हो पर न्यूज़ निकाल पाये  कि कब क्या होने वाला है ? सवाल ही नही है, और शायद यही मोदी सरकार में मज़बूती का एक मंत्र भी है ।
में आपको एक मंज़र बताता हूँ सन 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का चुनावी घोषणा पत्र जारी होना था 11 अशोका रोड़ बीजेपी के मुख्यालय के बराबर में 9 अशोका रोड़ पर जो स्वर्गीय जेटली जी के कार्यालय के नाम से भी जानी जाती थी उसमे बीजेपी के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी ने माइक सम्भाला और पत्रकारों से ख़िताब करते हुए फ़रमाया, मेरे प्यारे मीडिया मित्रों मैंने भी इस कार्यालय में अपने मीडिया बंधुओं के बैठने के लिए कुर्सियाँ बिछाई हैं, तो आप अंदाज़ा लगा लें जो प्रधानमंत्री उम्मीदवार मीडिया बंधुओं के लिए कुर्सियाँ लगाने का हुनर जानता हो  उसे ये भी अच्छी तरह पता होगा कि मीडिया बंधुओं से कब कौन सी बात बतानी है और कौन सी छिपानी है इसलिए खाता ना वही, जो तीन कह दें वो सही ।

हमारे तीन सूत्रों का ये आँकलन है कि कैबिनेट अभी नहीं बदली जाएगी अभी सिर्फ़ हिमाचल और गुजरात के चुनाव पर पूरा ध्यान केंद्रित किया जा रहा हैं इन दो राज्यों में चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद कैबिनेट में बहुत मुमकिन है  कि फ़ैर बदल किया जाये, क्योंकि जिन दो  प्रदेशों हिमाचल और गुजरात में चुनाव होने वाले है उन दोनों प्रदेशों के नुमाइंदे मोदी सरकार और संगठन में उच्च स्थान पर हैं। चुनाव के नतीजों के बाद तीन प्रदेश बिहार, झारखंड,उड़ीसा के चुनाव की तैयारियाँ शुरू होंगी उस दौरान बहुत मुमकिन होगा कि कैबिनेट का चेहरा बदला जाये उस दौरान कैबिनेट से कुछ को अलविदा कह दिया जाएगा । बिहार में नीतीश के साथ गठबंधन टूट जाने के बाद बहुत मुमकिन हैं कि बिहार के उन क़द्दावरों को कैबिनेट से जाना पड़े जो अभी तक कैबिनेट में बने हुए हैं ,उड़ीसा और झारखंड के कुछ नये चेहरे कैबिनेट में शामिल किए जा सकते हैं। पाठकों हमारा भी ये सिर्फ़ एक क़यास है हमारी टीम द्वारा तीन को कवर करने वाले पत्रकारों के ज़रिये ।अब  ये कितना सच साबित होगा ये वक़्त आने पर ही पता चलेगा।

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