दिल्ली:आप दिनभर हमें सीख देते हैं, उपदेश देते हैं, बड़े–बड़े जुमले देते हैं कि भारत की पैठ ये है, आन ये है, बान ये है, मान ये है, राष्ट्रवाद ये है, छाती 56 इंच की नहीं 65 इंच की है। लेकिन सच्चाई क्या है जहां हमें आम जीवन पर, विद्यार्थी के जीवन पर छूता है तो अमेरिका ऐसे ऐंठकर रहा है, जैसे भारत नाम का कोई देश ही नहीं है। जहाँ हमें आम आदमी के लिए तकलीफ होती है, दर्द होता है, वेदना होती है। वहाँ कुवैत हमारे श्रमिकों के विषय में एक अपने आप निर्णय लेता है, जिसमें कोई कंसल्टेशन नहीं है, कोई आपसी विचार–विमर्श नहीं है। हमारी पैठ कहाँ हैं, हमें पता नहीं है। अमेरिका केH-1B वीज़ा में चार में से तीन भारतीय इन्वोल्वड हैं, वो भी एक तरफा निर्णय लेलेते हैं। हमारी भारत की डिप्लोमेटिक पैठ कहाँ हैं? हमारी आर्थिक शक्ति कहाँहैं? हमारे सुपर पॉवर के देश की छवि कहाँ है? ये प्रश्न हम आपके जरिए उठानाचाहते हैं। मैंने इसलिए कहा आपसे ना पूर्व, ना पश्चिम मोदी जी दोनों दिशाओं मेंहमारी पैठ नहीं है। एक तरफ अमेरिका सुनने को तैयार नहीं है, दूसरी तरफ कुवैतसुनने को तैयार नहीं है, सबसे बड़ा और सबसे छोटा देश।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की मानहानि हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आप चुन–चुन कर भारत के उन वर्गों परदुष्प्रभाव कर रहे हैं, प्रहार कर रहे हैं, आघात कर रहे हैं, जो अपने श्रम से, अपनेहुनर से भारत का नाम रोशन करते हैं और कई दशकों से करते आए हैं।डोमेस्टिकली, लोकली आज रोजगार पर लात एक के बाद एक पड़ रही है। उसकेदौरान ये हो रहा है कि आपके देश में जो हाई वेल्यू, वाईट कॉलर अर्नर हैं, जो ब्लूकॉलर अर्नर हैं, दोनों पर अत्यंत दुष्प्रभाव हो रहा है। इन सबके बीच में आपकेपास कोई हल नहीं है। आपने कोई नीति नहीं बनाई। प्रधानमंत्री जी सब काम कोछोड़कर अमेरिका और कुवैत इसके लिए जाना चाहिए। आपने एक भी कोई ठोसचीज क्या की, जिससे कि ये नीतियां वापस ली जाएं? करोड़ों–लाखों भारतीयएक आवाज में ये प्रश्न का उत्तर मांग रहे हैं, लेकिन जवाब की जगह सन्नाटा मिलरहा है।