नई दिल्ली : इस समय भारत में कोरोना पॉजिटिव केसेस की संख्या 6 लाख 74 हजार को पार कर गई है और पिछले 24 घंटे में नंबर ऑफ पॉजीटिव केसेस की संख्या एक रिकोर्ड कीर्तिमान करते हुए 24 हजार के ऊपर चली गई है, प्रिसाइजली 24 हजार 18, जब हमने लॉकडाउन किया, तो दुनिया भर के हैल्थ एक्सपर्ट ने बताया कि लॉकडाउन एक पॉज़ बटन है उस पॉज़ बटन के दौरान हर देश को अपने हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को ऊपर लाना चाहिए था। उसमें अमूल-चूल दृष्टि से उसको ऊपर अवलित करना चाहिए था। इसी सोच के साथ हमारी भी सरकार ने लॉकडाउन रखा इस लॉकडाउन के समय का उपयोग भारत सरकार वेंटिलेटर युक्त बेड की संख्या को बहुत बड़े स्तर तक बढ़ाने में करेगी। इसी सोच के साथ हमने लॉकडाउन किया, पर हुआ क्या और आज हम कहाँ खड़े हैं?
किस तरह से वेंटिलेटर खरीद के आदेश जारी हुए, किस तरह से कन्फ्यूजन हुआ और किस तरह से मिसमैनेजमेंट हुआ, किस तरह से वित्तीय गड़बड़ी की, फाइनेंशियल नीति की और फाइनेंशियल मिसमैनेजमेंट की धज्जियां उड़ाई गई और किस तरह से फंड का एलोकेशन ना जरुरत होते हुए भी कैसे किया गया, किनको किया गया, किस तरह से पूरे वेंटिलेटर के ऑर्डर में ट्रांसपेरेंसी की धज्जियां उड़ाई गई, किस तरह से ट्रांसपेरेंसी को ताक पर रख दिया और क्यों रखा गया, हिंदुस्तान के लोगों को, कोविड़ संक्रिमत लोगों के हैल्थ पर इसका क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ा, कांग्रेस आज ये मुद्दे लेकर आई है कि वेंटिलेटर का मैं तथाकिथत बोलता है, तथाकथित वेंटिलेटर की परचेज में, उसके यूज में, उसकी ट्रांसपेरेंसी में और उसके मिसयूज में जो घोटाला हुआ है, वो देश के सामने आज कांग्रेस पार्टी के पटल से रखेगी।
question on confusion in ordering delay and mismanagement, 31 मार्च, 2020 को भारत सरकार 40,000 वेंटिलेटर खरीदने का ऑर्डर देती है और ये 40 हजार वेंटिलेटर 2कंपनियों से खरीदने की बात लिखी जाती है। 30,000 वेंटिलेटर एक ‘स्केन रे टेक्नॉलोजी’ है, उससे खरीदने की बात होती है और 10,000 वैंटिलेटर एक एग्वा, ‘Agva हैल्थ केयर’ कंपनी है, उससे खरीदने की बात होती है। उसके बाद 23 जून को देश को ये पता चलता है कि पीएम केयर फंड; पीएम केयर का क्या फंड है, 23 जून को पीएम केयर फंड में 2,000 करोड़ के एलोकेशन की बात की जाती है, जिससे कि 50,000 वेंटिलेटर खरीदे जाएंगे, ऐसी बात प्राईम मिनिस्टर ऑफिस की रिलीज है, 31 मार्च को भारत सरकार 40,000 वेंटिलेटर खरीदने का 2 फर्मों को ऑर्डर देती है, उसके कुछ दिन बाद पीएम केयर में ये बात कही जाती है कि पीएम केयर से 2,000 करोड़ का यूज होगा और 50,000 वेंटिलेटर इसके द्वारा खरीदे जाएंगे। अब सवाल ये है कि ये जो 40,000, जो भारत सरकार ने ऑर्डर दिए थे 31 मार्च को, ध्यान रहे कि 31मार्च तक पीएम केयर फंड की स्थापना का नोटिफिकेशन नहीं आया था, तो ये जो 40,000 भारत सरकार ने जो खरीदने की बात की थी, तो क्या ये 50,000 उसी का भाग है ?
जब भारत सरकार खरीदती है तो सभी नियमों की पूर्ति करनी पडती है, ओपन टेंडरिंग होती है, कॉम्पिटेटिव बिडिंग होती है और पीएम केयर आपको पता है कि ये निजी ट्रस्ट है, वो कुछ भी कर सकता है, पीएम केयर में पैसा किसने दिया, हमारी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने, पीएसयू ने, उन्होंने अपना सीएसआर का सारा फंड पीएम केयर में डाल दिया, तो सार्वजनिक क्षेत्र का हमारा ही पैसा पीएम केयर में गया, लेकिन उसके बारे में सवाल आप नहीं पूछ सकते हैं, ना उसकी सरकारी ऑडिट होती है, ना वो आरटीआई के दायरे में आता है और उस बारे में हमने बहुत चर्चा की, तो मेरा पहला सवाल है कि जो 40,000 वेंटिलेटर का ऑर्डर 31 मार्च को दिया गया, क्या ये जो 50,000 पीएम केयर से खरीदने की बात हो रही है, वो उससे अलग है या पीएम केयर में उसी को बताया गया है?
23 जून की प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रेस विज्ञप्ति (annexure-1) में साफ-साफ, स्पष्ट रुप से लिखा है कि 1,340 वेंटिलेटर अभी तक 23 जून तक सप्लाई किए गए हैं, ऑर्डर कब दिया था 40,000 वेंटिलटर को, 31 मार्च को, अभी तारीख क्या है 23जून और 23 जून तक कितने वेंटिलेटर अभी तक देश में सप्लाई किए, जबकि हम लॉकडाउन में थे, पूरी दुनिया कह रही थी कि ये पोज बटन है और हमें वेंटिलेटर मिले as per प्रधानमंत्री कार्यालय रिलीज is it 1,340। हम ये पूछना चाहते हैं भारत सरकार से, माननीय प्रधानमंत्री जी से कि आप ये बताएं कि ये 40,000 और 50,000 अलग-अलग हैं, क्योंकि देश ये जानना चाहता है कि 50,000 तो आप जब पीएम केयर से खरीदेंगे तो आप प्राईवेट की तरह उसको कर सकते हैं और 40,000 भारत सरकार के हैं, तो यह अलग-अलग हैं या नहीं? अगर जो भी उसका उत्तर होगा, उसके बाद दूसरा सवाल है कि ढाई महीने पूरा अप्रैल का महीना, मई का महीना और 22 जून तक, दो महीने और 22 दिन में आपने 1,340 वेंटिलेटर आपको मिल भी गए, ये अबनोर्मल डीले क्यों हुआ, इस अबनोर्मल डीले के मिसमैनेजमेंट के लिए कौन जिम्मेदार है? देश ये जानना चाहता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय से जो हमने आपको प्रेस विज्ञप्ति दिखाई, उसमें साफ लिखा है कि 2,000 करोड़ रुपए से 50,000 वेंटिलेटर, तो प्रत्येक वेंटिलेटर कितने का हुआ 4 लाख रुपए का, ये मैं नहीं कह रहा हूं, प्रधानमंत्री कार्यालय की विज्ञप्ति कह रही है। जबकि Agva हैल्थ केयर कंपनी, जिसको भारत सरकार ने 10,000 वेंटिलेटर सप्लाई करने का 31 मार्च को ऑर्डर दिया है, वो Agva हैल्थ केयर कंपनी के सीओ और उनके सारी सीनियर मैनेजमेंट जगह-जगह के समाचार फोटो में आकर, जगह-जगह पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उन्होंने कहा कि हमारे एक वेंटिलेटर की कीमत डेढ लाख रुपए है। हम प्रधानमंत्री जी से ये पूछना चाहते हैं कि आप पीएम केयर का खर्चा नहीं बताना चाहते, आपने कह दिया, ये हमारी निजी मामला है, हालांकि देश इससे संतुष्ट नहीं है, देश पूछना चाहता है अगर ये आपका निजी है तो इस सीएसआर का फंड क्यों लिया आपने? क्यों कंपनियों से सीएसआर का पैसा ले लिया आपने, अगर आपका निजी मामला था? अगर आपका निजी मामला है, तो आपने एक वेंटिलेटर खरीदने के लिए 4 लाख रुपए एलोकेट लिए, जबकि भारत सरकार जिस कंपनी को ऑर्डर दे रही है, Agva, जिसको 10,000 वेंटिलेटर सप्लाई करने का ऑर्डर दिया गया, वो बड़े ही स्पष्ट तरीके से बोल रही है कि प्रति वेंटिलेटर की कीमत डेढ लाख रुपए है। हम ये जानना चाहते हैं कि ढाई लाख रुपए प्रति वेंटिलेटर जो आपने ज्यादा आबंटित किया है पीएम केयर का पैसा, वो कहाँ गया, वो किसके लिए है, वो किन लोगों के फायदे के लिए है? ये देश आपसे जानना चाहता है? ये बहुत बड़ा फाइनेंशियल प्रोपराइटरी का मुद्दा है। 4 लाख रुपए आप प्रति वेंटिलेटर पीएम केयर का आंबटन करते हैं और पीएम केयर का पैसा नहीं है, वो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का सीएसआर का पैसा है, अगर वो वहाँ सीएसआर में खर्च नहीं करती तो किसी और में खर्च होता, जिसका फायदा देश को मिलता, तो आप ये नहीं कह सकते कि हमारा प्राईवेट पैसा है। जब आपने 4 लाख रुपए आपने एलोकेट किए और वेंटिलेटर जहाँ से भारत सरकार खरीदती है, जिसकी कीमत प्रति वेंटिलेटर कीमत डेढ़ लाख है तो ये बीच का ढाई लाख रुपए का क्या झोल-माल है, देश ये जानना चाहता है? ये मेरा दूसरा ब्राड थीम है।
Question on transparency in Process, भारत सरकार जब भी कोई बड़े ऑर्डर देती है तो उसकी कॉम्पिटेटिव बिडिंग होती है, उसकी ओपन टेंडरिंग होती है, क्या ये Agva कंपनी, जिसकी मैं बात कर रहा हूं, जो डेढ लाख रुपए में वेंटिलेटर सप्लाई करने को तैयार है, जिसको भारत सरकार ने 10,000 वेंटिलेटर खरीदने का ऑर्डर दिया है, क्या ये स्कैन रे कंपनी, जिससे 30,000 वेंटिलेटर खरीदने का भारत सरकार ने ऑर्डर दिया है, क्या इस ऑर्डर को हमने ओपन टेंडरिंग के बाद दिया है, क्या कॉम्पिटेटिव बिडिंग का आयोजन किया है इसमें? देश ये जानना चाहता है क्योंकि ये ट्रांसपेरेंसी का मामला है, ये व्यक्तिगत आप लोगों का पैसा नहीं है, ये देश के लोगों का पैसा है, ये देश की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का पैसा है, जिसके मैजोरेटी स्टेक होल्डर भारत की जनता है, देश के राष्ट्रपति होते हैं, तो वो देश जानना चाहता है कि ये क्या कॉम्पिटेटिव ऑर्डर हुए? कब आपने ओपन टेंडरिंग की? उसके डिटेल हमें तो कभी दिखी नहीं, आपको दिखे तो बताईएगा, देश आपसे ये तीसरा सवाल ट्रांसपेरेंसी पर जानना चाहता है।
जो वेंटिलेटर 1,340 प्रधानमंत्री कार्यालय की 23 जून की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि 1,340 वेंटिलटर सप्लाई किए गए हैं, भले ही वो दिल्ली के अस्पताल हों और मैं सारे सरकारी रेप्यूटेड़ अस्पतालों की बात कर रहा हूं, भले ही वो लोकनायक अस्पताल हो, भले ही मुंबई के सरकारी अस्पताल हों, भले ही हैल्थ पेनल एक्सपर्ट के व्यूज हों, भले ही डॉक्टरों की इंडिविजुअल ओपिनियन हो, सबने ये कहा है कि ये जो Agva कंपनी ने वेंटिलेटर सप्लाई किए हैं, इसका कोई यूज नहीं है, ये कहीं भी यूज नहीं आ सकते हैं। एक तरफ मात्र 1,340 वेंटिलेटर आए, वो 1,340 भी हैल्थ जो एक्सपर्ट हैं, जो डॉक्टर हैं, वो कह रहे हैं इनका कोई उपयोग ही नहीं है, ये किसी काम के ही नहीं है। जब देश में कोविड के केसेस प्रतिदिन 24 हजार से ऊपर जा रहे हैं और सबको पता है कि कोविड के गंभीर केसेस को सिर्फ और सिर्फ वेंटिलेटर की सहायता से बचाया जा सकता है, वरना वो मृत्यु के मुँह में चला जाता है, जो कोविड़ पॉजिटिव जो गंभीर केस होता है। आप वेंटिलेटर भी धांधली कर रहे हैं,