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41 कोयला खदानों की व्यावसायिक नीलामी रद्द करो-कार्पोरेट लूट नहीं चलेगी

अगस्त 2019 में, मोद  सरकार  ने कोयला खनन, प्रौद्योगिकी और बिक्री के लिए 'आटोमेटिक रास्ते' से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को स्वीकृति दे दी थी। जिस मुखर तरीके से सरकार ने यह फ़ैसला लिया है, वह एक बार फिर दर्शाता है कि उसे देश के कानून, हाशिये के समुदायों के हित और जल-जंगल-ज़मीन  की कोई परवाह नहीं है। पांचवी अनुसूचि क्षेत्र के आदिवासियों के लिए दी गयी संवैधानिक सुरक्षाओं का उल्लंघन करने के साथ-साथ, सरकार का यह कदम कई अन्य सुरक्षात्मक और सक्षमात्मक कानूनों को झटका देता है,

झारखंड : जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय प्रधान मंत्री के नेतृत्व में वर्तमान सरकार के विनाशकारी योजनाओं की निंदा करता है जिसने मध्य और पूर्वी भारत के जैव-विविधता पूर्ण, आदिवासी इलाकों में 41 कोयला खदानों की ‘वर्चुअल नीलामी’ करने का निर्णय लिया है। इन इलाकों को मुनाफाखोर घरेलू और विदेशी कार्पोरेट खनन इकाइयों के लिए खोल देने से यह प्राचीन वन भूमि अपरिवर्तनीय रूप से खतरे में आ जाएगी, पर्यावरणीय प्रदूषण और कोविड के इस समय में सार्वजानिक स्वस्थ्य के लिए खतरा बढ़ेगा और साथ ही, आदिवासी जनसंख्या और वन्यजीवों का एक बड़े क्षेत्र तबाह हो जाएगा। यह कदम प्रधान मंत्री का इस देश के नागरिकों के साथ किया जा रहा एक और छलावा है, जिसे “आत्म निर्भर भारत’ की आड़ में थोपा जा रहा है, लेकिन वास्तव में यह स्वशासन के संवैधानिक अधिकार को लोगों से छीन लेता है।

कोविड की आड़ में ‘आर्थिक पुनर्जीवन’ के नाम पर, सरकार द्वारा इन क्षेत्रों में ज़मीन और जंगलों पर निर्भर समुदायों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया जा रहा है। 47 वर्षों तक ‘कोल इंडिया लिमिटेड’ के सार्वजनिक क्षेत्र के स्वामित्व में रहने के बाद, इस कार्यक्षेत्र को अब निजी कम्पनियों के हाथों ऐसे नाज़ुक ‘गैर-हस्तक्षेप क्षेत्रों’ और समृद्ध संसाधनों के दोहन के लिए सौंपा जा रहा है

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मार्च 2020 में खनिज कानून (संशोधन) अधिनियम, 2020 (जिसे जनवरी में अध्यादेश के रूप में लागू किया गया था) के पारित होने के बाद की गयी, जो कि कोयला खनन (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 और खनन एवं खनिज (विकास और विनयमन) अधिनियम, 1957 के संशोधन के लिए लाया गया था, जिसका उद्देश्य अंतिम उपयोग पर ‘प्रतिबंधों को कम’ करना और कोयला नीलामी में भागीदारी के लिए पात्रता के मापदंडों में ढील देना था, विशेषकर वैश्विक बोली लगाने वालों द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए। वास्तव में, अगस्त 2019 में, मोद  सरकार  ने कोयला खनन, प्रौद्योगिकी और बिक्री के लिए ‘आटोमेटिक रास्ते’ से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को स्वीकृति दे दी थी। जिस मुखर तरीके से सरकार ने यह फ़ैसला लिया है, वह एक बार फिर दर्शाता है कि उसे देश के कानून, हाशिये के समुदायों के हित और जल-जंगल-ज़मीन  की कोई परवाह नहीं है। पांचवी अनुसूचि क्षेत्र के आदिवासियों के लिए दी गयी संवैधानिक सुरक्षाओं का उल्लंघन करने के साथ-साथ, सरकार का यह कदम कई अन्य सुरक्षात्मक और सक्षमात्मक कानूनों को झटका देता है, जिनमें शामिल हैं

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