हमारी सरकारी प्रणाली में कोई भी निर्णय किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं लिया जा सकता, सभी निर्णय सामूहिक निर्णय होते हैं, जिन्हें फाईलों में दर्ज किया जाता है। केन्द्र सरकार के 6 सचिवों सहित एक दर्जन अधिकारियों ने प्रस्ताव की जांच के उपरांत अपनी सिफारिश दी थी, श्री चिदंबरम ने मंत्री के रुप में सर्वसम्मत सिफारिश को अपनी मंजूरी दी थी।
यदि अधिकारियों की कोई गलती नहीं है, तो ये बात समझ से परे है कि वह मंत्री, जिसने सर्वसम्मति से प्राप्त सिफारिश को मात्र अपनी मंजूरी दी, उस पर अपराध करने का आरोप कैसे लगाया जा सकता है? यदि अकेले एक मंत्री को ही सिफारिश को मंजूरी देने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, तो सम्पूर्ण सरकारी प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी।हमें पूर्ण विश्वास और आशा है कि न्यायालय इस मामले में न्याय प्रदान करेंगे।