यूपी के नौकरशाह का कुख्यात आम्रपाली बिल्डर्स में बड़ा शेयर!
पिछली दो सरकारों में समान रुप से प्रिय रहे इस आईएएस अधिकारी ने सात बड़े बिल्डर्स की अर्थदंड व ब्याज माफ़ी करके और दिल्ली में विराजमान एक नेता के कहने पर ठेके देने में रु. 51 हज़ार करोड़ का चूना लगाया। यह खुलासा हाल ही कि सीएजी की रिपोर्ट में होने वाला है।

(सूर्य प्रताप सिंह (पूर्व आईएएस)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में भृष्टाचार के सरगना इन कुख्यात आईएएसअधिकारियों को छूने की हिम्मत क्यों नहीं हो रही? नोएडा के साथ-साथ यमुना व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में पिछली दो सरकारों में भू-आवंटन घोटालों में शामिल बिहार मूल के एक आईएएस अधिकारी की जांच तो दूर उन्हें छूने तक की हिम्मत योगी सरकार नही कर पा रही है। पिछली दो सरकारों में समान रुप से प्रिय रहे इस आईएएस अधिकारी ने सात बड़े बिल्डर्स की अर्थदंड व ब्याज माफ़ी करके और दिल्ली में विराजमान एक नेता के कहने पर ठेके देने में रु. 51 हज़ार करोड़ का चूना लगाया। यह खुलासा हाल ही कि सीएजी की रिपोर्ट में होने वाला है। जो अभी कच्ची बनी है। मुख्यमंत्री योगी जी को स्मरण होना चाहिए कि जब पूर्व केंद्र सरकार के दो नंबर की हैसियत वाले तत्कालीन मंत्री ने उन्हें एक फटकार और सीधी धमकी दी थी कि बिहार मूल के इस आईएएस अधिकारी को न छुआ जाए। ये अधिकारी पूर्व मुख्यमंत्री मायावती व दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दोनों के एक समान नाक का बाल रहे है, तथा इन्होंने ही महाभृष्ट नोएडा प्राधिकरण के इंजीनियर यादव सिंह को न केवल प्रोन्नति दी अपितु तीनों प्राधिकरण का मुख्य अभियंता भी बना दिया। आज इस नौकरशाह को भाजपा जैसे न्यायप्रिय संगठन का भी वरदहस्त प्राप्त हो गया, यह आश्चर्यजनक और अहम प्रश्न है?
इसी नौकरशाह का कुख्यात आम्रपाली बिल्डर्स की कंपनी में भी बड़ा शेयर भी है बल्कि जानकारों के मुताबिक बिहार से निवेशक लाकर आम्रपाली नामक कंपनी बनवाई थी। इसी नौकरशाह ने नोएडा एक्सटेंशन क्षेत्र में तमाम बड़े-बड़े बिल्डर्स को पैसे लेकर भूमि आवंटित की और नियम विरुद्ध भू-उपयोग परिवर्तन किया, जिसके कारण आज ये तीनों प्राधिकरण औद्योगिक से आवासीय प्राधिकरण में तब्दील हो चुके है। हाल ही में ‘कावेरी बिल्डर’ की जिस बिल्डिंग की गिराने का आदेश माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिया है, उसका नक्शा पास करने व निर्माण की अनुमति इसी नौकरशाह ने दी थी। जिनके कारण कावेरी सोसाइटी के टावर्स में रह रहे लगभग 12 हज़ार परिवारों/लोगों की मेहनत की कमाई मिट्टी में मिलने वाली है। इसका जिम्मेदार कौन होगा।

प्रदेश की पिछली दो सरकारों मे औद्योगिक भूमि का आवंटन व भूउपयोग परिवर्तन एक प्लास्टिक किंग के नाम से कुख्यात उद्योगपति जिन्हें कस्टम विभाग के चेयरमैन के नाम से करोड़ों रुपये की रिश्वत ली थी, और बाद में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया था, उनकी नोएडा स्थित फैक्ट्री में बैठकर उक्त नौकरशाह लेन देन की डील किया करते थे। जो पैसा आवंटियों से वसूला जाता था, उसे इस उद्योगपति के प्राइवेट जेट से ही लखनऊ लाकर पूर्व मुख्यमंत्रियों व उनके परिवारों के शुपुर्द कर दिया जाता था। 2016 में मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी की रात में ही एक पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा लगभग 400 करोड़ रुपये तथा दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा लगभग 150 करोड़ रुपये का सोना खरीदने की बात किसी से छुपी नहीं है। इस खरीदारी में एनआरएचएम घोटाले में उत्तर प्रदेश के एक पूर्व मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा के दलाल के रूप में कुख्यात ‘लंबे’ कद के आईएएस अधिकारी ने लखनऊ के सबसे बड़े ज्वेलर के यहाँ से कराने में अहम भूमिका अदा की थी। इसी नौकरशाह ने एक एक्सप्रेसवे के निर्माण में बड़ा घोटाला किया और आज उसके लिए जांच तो दूर उल्टा वाहवाही भी लूटी जा रही है। स्वयं इस नौकरशाह के अनुसार योगी जी से अभयदान दिलाने में सीबीआई के फंदे में आये एक चैनल के मालिक व बड़े पत्रकार की अहम भूमिका रही। योगी सरकार ने आज इन दो आईएएस अधिकारियों की जांच तो दूर इनके भृष्टाचार के समक्ष घुटने टेक कर, इन्हें प्रमुख सचिव जैसे बड़े पद भी नवाज़ दिए हैं। इसके पीछे योगी सरकार की क्या मज़बूरी है यह तो कोई नही जानता मगर क्या अभी भी आप योगी सरकार से अपेक्षा करेंगे कि वो नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरणों के घोटालों की जॉच कराएंगे? …पिंजरे में बंद मुख्यमंत्री जी? कौन नहीं जानता कि उक्त तीनों प्राधिकरणों में सभी दलों के नेताओं व उनके परिवारों का काला धन का निवेश है। सच तो यह है कि सत्ताधारी दल चाहे कोई भी आये, इन प्राधिकरणों के घोटाले और घोटालेबाज़ों को छूने वाला नहीं है। सरकारें बातें खूब करेंगीं ताकि भृष्ट नौकरशाहों/इंजीनियर्स को ब्लैकमेल कर पार्टी फण्ड के नाम या स्वमं की जेब भरने के लिए नेताओं द्वारा इन भृष्ट अधिकारियों को दुहा जा सके। याद रहे महाभ्रष्ट इंजीनियर यादवसिंह की जांच सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट के निर्देश पर हुई है, ना कि किसी सरकार ने कराई! सरकारें तो उल्टा उसे बचाती रहीं। यदि एक पूर्व मुख्यमंत्री के भाई पर ईडी की कार्यवाही को छोड़ दें तो योगी सरकार ने नोएडा, यमुना व ग्रेटर नोएडा के घोटालों की किसी जांच के आदेश क्यों नहीं दिए? यह विचारणीय प्रश्न है। जाहिर है कि संलग्न पेपर क्लिप में फिर आम्रपाली सहित बड़े बिल्डर्स के साथ-साथ इन तीनों प्राधिकरणों के घोटालों में दोषी भ्रष्ट अधिकारियों की जांच के लिए योगी जी ने आदेश दिए हैं, देखते है कि क्या कुछ होता है। जल छोटी मछलियां ही फसेंगी या फिर मोटे मगरमच्छ भी फंसेंगे? या उ. प्र. लोकसेवा आयोग व गोमती बंधे की जांच की तरह सब कुछ लच्छेदार बातों के साथ ठंडे बस्ते में चला जायेगा।
क्या पूर्व मुख्यमंत्री व उनके प्रिय उक्त दो नौकरशाहों में से कोई जेल जाएगा? क्या योगी जी अपनी ईमानदार छवि के टैग से ही संतुष्ट रहकर भृष्टाचार को बर्दाश्त करने के लिए विवश रहेंगे या फिर बड़े चोर नौकरशाहों की पकड़ने की हिम्मत भी दिखाएंगे?
(लेखक यूपी कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी है)
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