मेरे समय में विधिक साक्षरता जैसी कोई सुविधा नहीं मिलती थी-मनोहर लाल
(ताज़ीम राणा, एनसीआर) सोनीपत, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने हरियाणा में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के सफल क्रियान्वयन के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा शिक्षण संस्थाओं में चलाई जा रहे विद्यार्थी विधिक साक्षरता मिशन की सराहना करते हुए कहा कि जब वे विद्यार्थी थे तो उस समय विधिक साक्षरता जैसी कोई सुविधा नहीं मिलती थी। युवाओं को ऐसे मिशन से मौलिक अधिकारों व कानूनों की जानकारी मिलने से समाज में जागरूकता आती है। जस्टिस ललित दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय के सभागार में हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण एवं शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा आयोजित विद्यार्थी विधिक साक्षरता मिशन के 9वें वार्षिक समारोह मे मुख्यअतिथि के रूप में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि शैक्षणिक उपाधियां भिन्न भिन्न हो सकती है परंतु भारत के संविधान में बनाए गए कानून की पालना सभी को करनी होती है। उन्होंने कहा कि कानून की अज्ञानता कोई बहाना नहीं यह हमें कानून के डिग्री के प्रथम वर्ष मे पढने का मिलता है। परंतु जब स्कूलों से ही विद्यार्थियों को कानूनी साक्षरता के बारे में जानकारी होती है तो वे आगे चलकर कानून का पालन अवश्यक करेंगे और समाज के लोगों को भी उनके अधिकारों व कानून के बारे में जागरूक करेंगे। उन्होंने कहा कि नारद मूनि हर जगह प्रकट होकर लोगों को जागरूक करने का कार्य किया करता था। विधिक साक्षरता मिशन से हम समाज को जागृत करने का कार्य करेंगे। यह न्यायपालिका लोकतंत्र व एक सभ्य समाज के लिए अच्छा है। उन्होंने कहा कि इससे युवा अपने कर्तव्यों व नैतिक मुल्यों को प्राप्त कर अपने आस पास के क्षेत्र में जागृति फैलाता है। स्कूली बच्चों में फैलाई जागृति एक उदाहरण बन सकती है। उन्होंने इसक उदाहरण देते हुए कहा कि जब वे दिपावली पर अपने बेटे को पटाखें खरीदने के लिए बाजार लेकर गए थे तो बेटे ने यह कहकर मना कर दिया था कि पटाखें बनाने में शिवकाशी के बाल मजदूरों शोषण होता है और उसके बाद से हमने कभी दिपावली पर पटाखें नहीं खरीदें। उन्होंने हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि राष्टï्रीय स्तर पर भी हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण ने लगातार पांच वर्षों से देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने संबोधन में कहा कि समाज के स्थायित्व, शांति व संतुलन के लिए अधिकारों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ सामाकि कर्तव्यों, नैतिक मुल्यों व राष्टï्रवाद की शिक्षा भी उतनी ही जरूरी है जितना कि विद्यार्थी विधिक साक्षरता मिशन के तहत विद्यार्थियों में कानून के प्रति फैलाई जा रही जागरूकता।मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरा परिवार व अपना पन जैसी छोटी सोच से ऊपर उठकर राष्टिï्रयता भाव पर चलना होगा तभी हम देश की आजादी में बलिदान हुए राष्टï्रभक्तों के स्वपनों को साकार कर सकते है। उन्होंने कहा कि राष्टï्रीयता की भावना से ही लोगों में आजादी के आंदोलन की लहर चली थी। उन्होंने कहा कि यदि देश की आजादी के बाद सरकारें राष्टï्रवाद की भावना से चलती तो संविधान की धारा 370 हटाने में 68 वर्ष नहीं लगते। उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम को अगर मैं एलईएमओएन की परिभाषा दूं तो कोई अतिशोक्ति नहीं होगी अर्थात विधिक शिक्षा, नैतिक शिक्षा और राष्टï्रवाद की शिक्षा।
उन्होंने कहा कि कमजोर, शोषित व वंचित लोगों को विधिक साक्षरता के माध्यम से उनके अधिकारों के बारे जानकारी देना आसान होगा। उन्होंने कहा कि साक्षरता मिशन देश को नई दिश दे रहे है और राष्टï्रीय स्तर पर भी लोक अदालतों व मध्यस्थता के माध्यम से कोर्ट के बाहर भी विवादों का निपटारा एक प्रकार से किया जा रहा है। कई बार पंचायती फैसले भी कोर्ट से बाहर किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में इन सब बातों को देखेते हरियाणा राज्य ट्रिब्यूनल का गठन करने का फैसला लिया है। भले ही कुछ लोग इसका विरोध कर रहे है। उन्होंने कहा कि आज देश व दुनियों में ऐसे ट्रिब्यूनलों की आवश्यकता है। ट्रिब्यूनल में विशेषज्ञ विवादों को सुलझाने में मदद करता है। उन्होंने देश में लगभग 1500 ट्रिब्यूनल कार्य कर रहे है। इससे आम आदमी को सुगम, सस्ता व आसानी से न्याय उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था इससे ओर अधिक कारगर व गुणवत्तापरक बनेगी। उन्होंने कहा कि आज सूचना प्रौद्योगिकी के युग में न्यायालयों में कार्य फास्ट ट्रैक पर हो रहे है। वीडियों कांफे्रंसिंग के माध्यम से भी ग्वाहों के ब्यान व जेलों से भी मामलों की सुनवाई की जा रही है। उन्होंने हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण व शिक्षा विभाग को कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई व शुभकामनाएं दी। सर्वाेच्च न्यायालय तथा पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायधीश, हरियाणा राज्य, जिला व खंड स्तर के विधिक सेवाएं प्राधिकरण के बड़ी संख्या में न्यायपालिका से जुडे अधिकारियों की उपस्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सब लोग दैवीय शक्ति के रूप हो। लोकतंत्र की सरकारें विधेयक पास कर कानून बनाती है परंतु उनकी सही व्याख्या करना न्यायपालिका का कार्य है। उन्होंने हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण को इस प्रकार के कार्यक्रमों को और अधिक कारगर ढंग से चलाने के हरियाणा सरकार की ओर से जितना भी सम्भव होगा हर प्रकार का सहयोग देने का आश्वासन भी दिया।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित विद्यार्थी इस बात का परिचायक हैं कि वे अधिकारों व अपने कत्र्तव्यों का निर्वहन जागरूक होकर करेंगें। उन्होंने कहा कि संविधान में अध्याय 51ए में वर्ष 1976 में ही जल संरक्षण, वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण तथा हमारी राष्टï्रीय धरोहर के स्मारकों को संरक्षित रखना हम सबका कत्र्तव्य है यह प्रावधान किया गया था, परन्तु उस ओर ध्यान नहीं दिया गया। लोग घूमने जाते हैं और ऐसी धरोहरों पर अपने घूमने की तिथि या कुछ ओर स्मारक चिन्ह अंकित कर आते हैं जो उनकी सुन्दरता को खराब करता है। उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों से आह्वïान किया कि वे विधिक साक्षरता से जुड़े हैं अत: भविष्य के लिए इन सबका ध्यान रखें और पानी को बचाने व प्लास्टिक का प्रयोग न करने का संकल्प लें। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की पानी बचाने के लिए प्रदेश के धान बाहुल्य जिलों में 50 हजार हैक्टेयर क्षेत्र व धान के स्थान पर दलहन व तिलहन की फसलें उगाने के लिए चलाए गए जल ही जीवन अभियान की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि पानी की किल्लत देश के समक्ष है महाराष्टï्र व तमिलनाड़ु में तो रेलगाडिय़ों के माध्यम से पानी पहुंचाया गया, जिसकी जानकारी हम सबको है। उन्होंने कहा कि जल बचाने के लिए हमने अभी से सावधान रहना होगा। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति पानी बर्बाद न करें हमें इसका ध्यान रखना होगा।
उन्होंने हरियाणा राज्य विधिक प्राधिकरण के सदस्यों से आग्रह किया कि जिस प्रकार से वे कन्या भू्रण हत्या, दहेज प्रथा व अन्य सामाजिक बुराईयों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाते हैं तो वे जल संरक्षण को भी इसमें शामिल करें।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने अपने संबोधन में कहा कि हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जा रहा विधिक साक्षरता अभियान एक सराहनीय कदम है। इससे हमें सशक्त एवं सभ्य समाज का निर्माण कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि देश में साक्षरता दर कम होना हमारे लिए चिंता का विषय है, जहां एक ओर पुरूषों में साक्षरता दर लगभग 80 प्रतिशत है तो महिलाओं में केवल यह 65 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सही कहा है कि इस शिक्षा के साथ-साथ हमें नैतिक मूल्यों व राष्टï्रवाद के महत्व की शिक्षा के प्रति भी लोगों को जागरूक करना होगा। उन्होंने कहा कि जो विद्यार्थी विधिक साक्षरता कल्बों से जुड़े हैं वे निश्चित रूप से अपने अभिभावकों, बहन भाईयों को अपराध का शिकार होने से बचाएंगें और इस प्रकार समाज में सुधार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में कानूनी जागरूकता फैलाने के लिए कल्ब से जुड़े लोंगों को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाना चाहिए।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के संरक्षक प्रमुख न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी ने अपने संबोधन में कहा कि आज का कार्यक्रम एक नए समाज के निर्माण का कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि राष्टï्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा 2005 से विधिक साक्षरता के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा प्रदेश के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में 7101 विधिक साक्षरता कल्ब संचालित की जा रही हैं। जिनमें 18 लाख से अधिक विद्यार्थी जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम जमीनी स्तर पर हमारे मौलिक अधिकारों एवं कानून की जानकारी देने के लिए एक जागरूकता मिशन के रूप में कार्य करते हैं। भावी पीढी को दो तरह से हम तैयार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विधिक साक्षरता शिविरों के माध्यम से हम गरीब व कमजोर वर्ग के लोगों को उनके अधिकारों की जानकारी देते हैं और यही न्यायपालिका से जुड़े लोगों का उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन विद्यार्थियों ने निबंध, श£ोगन, कविता व अन्य वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में आज जो सम्मान प्राप्त किया है वह निश्चित रूप से उन्हें भविष्य का अपने क्षेत्र में एक जागरूक नागरिक बनाने में मदद करेगा।
पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायलय के न्यायाधीश एवं हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने अपने स्वागतीय भाषण में कहा कि प्राधिकरण द्वारा छटी कक्षा से लेकर कॉलेज स्तर तक के लगभग 18 लाख विद्यार्थियों को विधिक साक्षरता अभियान से जोड़ा है। आने वाले समय में वे निश्चित रूप से सशक्त मानव संसाधन उभर कर निकलेगा। उन्होंने प्राधिकरण द्वारा चलाए जा रहे। अन्य कानूनी साक्षरता शिविरों व कार्यक्रमों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।
इस अवसर पर हरियाणा के विभिन्न जेलों के कै दियोंं की जीवनशैली पर तैयार डाटा बेस स्मारिका का विमोचन भी किया।
इसके पूर्व मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में लगभग 42 करोड़ रूपये की लागत से नवनिर्मित दीन दयाल उपाध्याय कनवेंशन सेंटर, 17 इको फ्रेडली क्लास रूम तथा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम व लिफ्ट का उदï्ïघाटन भी किया। गीता विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना तथा मुख्यमंत्री व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायलय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति हरदीप सिंह सिद्घूू, न्यायमर्ति राज मोहन सिंह, न्यायमूर्ति हंस लाल सिंह गिल, न्यायमूर्ति दया चौधरी, पंजाब राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आरके जैन, केन्द्रशासित प्रदेश चण्डीगढ विधिक सेवाएं प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति जसवंत सिंह, हरियाणा के महाधिवक्ता बीआर महाजन, पंजाब के महाधिवक्ता अतुल नंदा, सोनीपत के जिला एवं सत्र न्यायाधीश यशवीर सिंह राठौर तथा मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव तय्यब हुसैन के अलावा सभी जिलों के सत्र न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, हरियाणा कारागार महानिदेशक के सेल्वराज, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डॉ. महावीर सिंह एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।