Message here

बागपत जनपद में आवारा पशु दे रहे दुर्घटनाओं को दावत

har_geeta

ताज़ीम राणा
बागपत । पिछले कुछ समय से शहर में दिनों दिन आवारा पशुओं व बेसहारा गौवंश की तादाद सड़कों पर बढ़ती जा रही है। नगर निगम प्रशासन आए दिन पशुओं को पकड़ने के दावे तो करता है लेकिन जमीनी सच्चाई इससे बिल्कुल विपरीत है। दिन भर यह आवारा पशु खाने की लालसा में नगर के मुख्य सड़कों पर घूमते रहते हैं जिससे कहीं न कहीं हादसों का डर बना रहता है। आवारा पशु बाजारों के साथ-साथ दिल्ली सहारनपुर रॉड सिसाना गांव स्थित क्षेत्र कुड़ी कचरा खाते हुए नजर आ जायगे । सहारनपुर रॉड पर गांव सरूरपुर कला में भी रॉड पर ही आवारा पशुओं का जमावड़ा देखा जा सकता है दिन-रात डेरा जमाए रहते हैं। बागपत जनपद के ग्रामीणों आदि का कहना हैं कि आवारा पशुओं को लेकर नगर निगम प्रशासन संजीदा नहीं हैं और जिस दिन सड़क पर पशुओं की वजह से कोई बड़ा हादसा घटेगा तब प्रशासन अपनी कुंभकरणी नींद से जागेगा। उदाहरण के तौर पर यदि देखा जाए तो सरूरपुर सिसाना गौरीपुर मोड़ स्थित बड़ौत रेलवे रोड़ स्थित के सामने ऐसे कई स्थान हैं जहां कूड़ा इकट्ठा करने के लिए कूड़ेदान रखे गए हैं, लेकिन इन कूड़ेदानों के भीतर कूड़ा कम और कूड़ेदानों के बाहर अधिक कूड़ा सड़क पर फेंक दिया जाता है। जहां कूड़े के ढेर लगे रहते हैं । कूड़े के ढेर को समय पर उठाया भी नहीं जाता हैं। इस बीच कूड़ा बीनने वाले प्लास्टिक या अन्य ऐसी चीजों के लालच में कूड़े के ढेर को बिखेर देते हैं। बिखरे हुए कूड़े के ढेर के पास खाने के लालच में आवारा पशु आ जाते हैं और देखते ही देखते इनकी संख्या काफी बढ़ जाती है। कई बार स्थिति ऐसी रहती है कि सड़क पर आवारा पशुओं का जमावड़ा लग जाता है। इससे यातायात बाधित हो जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि आवारा पशुओं की समस्या और यहां पसरी गंदगी से लोग परेशान हैं। आवारा पशुओं के दिन रात सड़कों पर घूमने के चलते गंदगी इधर-उधर फैलाने के साथ हीं गोबर के ढेर सड़कों पर आसानी से देखे जा सकते हैं। इतना ही नही कई बार स्थिति ऐसी बन जाती हैं कि आवारा पशु आपस में लड़ते हुए सड़कों के बीचो बीच आ जाते हैं जिससे दर्जनों मामलों में राहगीरों के साथ दुर्घटनाएं होते-होते बची हैं। रात के समय में स्थिति और गंभीर हो जाती है क्योंकि कई स्थानों पर रोशनी न होने के कारण यह अक्सर दिखाई नहीं देते। अगर देखा जाए तो सड़कों पर घूमते पशुओं के जिम्मेदार खुद लोग ही है। कुछ लोग पहले गायों का दूध पीते है और जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो इसे खुला छोड़ दिया जाता है। इनमें ऐसे भी हैं जो सुबह होते ही गायों को सड़क पर छोड़ देते हैं और शाम ढलते ही दूध सिर्फ दूघ निकालने के लिए उन्हें घर पर बांधते हैं। जो कि सरासर गलत है। बाद में यहीं पशु सड़कों पर घूमते हुए दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।
क्या कहती हैं जनता अधिकारियों को कई बार इस विषय में मौखिक तौर पर कहा भी जा चुका हैं। लेकिन अधिकारियों का ध्यान शहर की अन्य समस्याओं पर न होकर कोई भी अधिकारी इस ओर ध्यान देने की जहमत नही उठाते लोग नंदी (बैल)को सड़कों पर छोड़ दे रहें हैं जिस कारण इनकी संख्या पहले से अधिक हो गई हैं। आवारा पशुओं के लिए बागपत जनपद में कई जगहों पर गोशाला भी बनाई गई है । मगर इन गोहलाओ मे मानक से अधिक गऊ वँशो को रखा गया है । बागपत जनपद के अधिकारियों को चाहिए कि बागपत जनपद में गौशाला अधिक से अधिक बनाई जाए जिससे आवारा पशुओं को रहने खाने की पूर्ण वयवस्था हो सके।

error: Content is protected !!